विशेषण किसे कहते हैं : परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

हिंदी व्याकरण में विशेषण किसे कहते है , विशेषण के भेद , परिभाषा एवं उदाहरण जैसे कई इसे टॉपिक है जिनका अध्ययन किये बिना हमारे द्वारा अर्जित किया गया हिंदी व्याकरण का ज्ञान अधुरा ही रहेगा।

प्रस्तुत अध्याय में हम इन सभी बिन्दुओं पर विस्तार से एवं बेहद ही आसान भाषा में चर्चा करेंगे, ताकि विशेषण से सम्बंधित जितनी भी जिज्ञासाएं आपके मन-मस्तिष्क में कौंध रही है उनका समाधान हो सके।

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विशेषण किसे कहते है ?

संज्ञा और सर्वनाम की कुछ विशेषताएँ होती हैं । जिस शब्द से संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता का बोध हो उसे ' विशेषण ' कहते हैं। 

विशेषण जिस शब्द की विशेषता बताता है , उसे ' विशेष्य ' कहते हैं। 

विशेषण के उदाहरण 

1. यह काली गाय है , वह उजली । ( गुण )

 दुष्ट व्यक्ति से अलग रहो । गन्दी बात मत बोलो । (दुर्गुण)

 2. कुन्ती के पाँच पुत्र थे । हिमालय में बहुत शैलावास हैं । ( संख्या )

 3. तालाब में कुछ जल है । हिमालय पर बहुत हिम रहता है । ( परिणाम )

 4. यह झण्डा फहराता रहेगा । इस देश में गंगा बहती है । ( सर्वनाम ) 

उपर्युक्त वाक्यों में काले शब्द चार तरीकों से विशेष्य की विशेषता प्रकट करते हैं। 


विशेषण के कितने भेद है ?

हिंदी व्याकरण की दृष्टि से विशेषण के कुल 4 भेद है। जो निम्नांकित है। 

1. गुणवाचक विशेषण 

गुण-अवगुण बतानेवाले विशेषण को 'गुणवाचक विशेषण' कहते हैं। गुणवाचक विशेषण संज्ञा के गुण , दोष या अवस्था का बोध कराता है।

 इसके ये उपभेद हैं --

( क ) काल सूचक - नयी ईमारत , पुराना किला , नवीन , भूत , वर्तमान , आगामी आदि । 

( ख ) गुण सूचक - अच्छा , बुरा , सुन्दर , सीधा , दयालु , कठोर आदि । 

( ग ) दशा सूचक - रोगी , स्वस्थ , दुबला , पिघला , गीला , कड़ा , नर्म आदि । 

( घ ) रूप ( आकार ) सूचक - पतला , लम्बा , ऊँचा , बौना , लँगड़ा , तिकोना आदि । 

( छ ) रंग ( वण ) सूचक - पतला , गोरा , श्वेत , लाल , सफेद , गेहुंआ , हरा आदि । 

( च ) स्थान सूचक - ऊँचा , नीचा , बाहरी , भीतरी , ऊपरी , बनारसी , रूसी आदि ।


2. संख्यावाचक विशेषण 

संख्या बतानेवाले विशेषण को ' संख्यावाचक विशेषण ' कहते हैं। 

संख्या निश्चित भी हो सकती है और अनिश्चित भी ।अतः, संख्यावाचक विशेषण दो प्रकार के होते हैं :-

निश्चित संख्यावाचक - एक , दो , बीस , हजार , आधा , दूसरा , चौगुना , दोनों । 

अनिश्चित संख्यावाचक - कुछ , थोड़ा , बहुत , अनेक। 

( i )निश्चित संख्यावाचक

निश्चित संख्यावाचक विशेषण से वस्तु की निश्चित संख्या का बोध होता है । जैसे - चार लड़कियाँ , छठा वर्ग । 

इसके कई उपभेद हैं ---

( क ) पूर्णाक सूचक - जिससे वस्तु की पूर्ण गणना का बोध हो । जैसे , एक लड़का , पाँच लड़के , दस सिद्धान्त ; सौ , हजार , लाख । 

( ख ) अपूर्णांक सूचक - जिससे वस्तु की अर्पूण गणना का बोध हो । जैसे , ढाई अक्षर , डेढ़ बजे ; पाव , आधा , सवा । 

( ग ) क्रम सूचक - जिससे संज्ञा की क्रमानुसार स्थिति का बोध हो । जैसे — पहली किताब , दूसरी बात ; चौथा , छठा , बीसवाँ । 

( घ ) आवृत्ति सूचक - जिससे यह बोध हो कि एक वस्तु से दूसरी वस्तु कितना गुना है । जैसे , तिगुनी आमदनी , दसगुना लोग ; पँचगुना , इकहरा , दुहरा , चौहरा । 

( ङ ) समुदाय सूचक - जिससे निश्चित संख्यात्मक समुदाय का बोध हो । जैसे , पाँचों पाण्डव , चारों युग ; दसों , बीसों । 

( च ) प्रत्येक सूचक - जिससे बहुत वस्तुओं में से हर एक का बोध हो । जैसे , प्रत्येक विद्यार्थी , हर पाठक , प्रति व्यक्ति । 

( ii ) अनिश्चित संख्यावाचक

अनिश्चितसंख्यावाचक विशेषण से बहुधा वस्तु के बहुएत का बोध होता है , पर उसकी निश्चित संख्या का बोध नहीं होता । जैसे , सब लड़के , कुछ रुपये , कई घर ; बहुत , अनेक । 

टिप्पणी -- 

( क ) ' एक ' पूर्णांक सूचक विशेषण है , पर इसका प्रयोग ' कोई ' के समान अनिश्चित के अर्थ में भी होता है । एक दिन की घटना है । सड़क पर एक कुत्ता जा रहा था । 

( ख ) दो पूर्णांक सूचक विशेषण साथ - साथ अनिश्चय सूचित करते हैं । जैसे , दस - बारह आदमी , पचीस - तीस रुपये , ढाई - तीन घंटे । 

( ग ) बीस , पचास , सैकड़ा , हजार और लाख में ' ओं जोड़ने से अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण बनते हैं । बीसों लोग , पच्चासों घर , लाखों रुपये | 


3. परिमाणवाचक विशेषण 

परिणाम या मात्रा बतानेवाले विशेषण को 'परिमाणवाचक विशेषण ' कहते हैं । 

जिन विशेषणों से द्रव्यवाचक , समूहवाचक या भाववाचक संज्ञाओं के परिणाम ( मात्रा , नाप - तोल ) का बोध हो , उन्हें परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं ; 

उदाहरण :-एक सेर , आधा किलो , ढाई लिटर आदि 'निश्चित परिमाण सूचक' है।

जबकि थोड़ा दूध , बहुत जल ; देर - सी चीनी , बहुत - सी मिट्टी ' अनिश्चित परिमाण सूचक ' विशेषण हैं । 

परिमाण वाचक विशेषण बहुधा एकवचन संज्ञा के साथ परिमाण और बहुवचन संज्ञा के साथ अनिश्चित संख्या सूचित करते हैं ; 

उदाहरण :-थोड़ी थकान , सारा पानी , सब पेड़ , घोड़े लोग , सारे सम्बन्धी । सब जंगल , बहुत घी , बहुत बच्चे , कुछ काम , कुछ आदमी ,


4. सार्वनामिक विशेषण 

सर्वनाम से बननेवाले विशेषण को ' सार्वनामिक विशेषण ' कहते हैं । 

अथवा जो सर्वनाम संज्ञा के पूर्व आकर विशेषण की तरह प्रयुक्त होता है , उसे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं । 

व्युत्पत्ति के अनुसार इसके दो भेद हैं -

1. मूल सार्वनामिक विशेषण  

जो सर्वनाम अपने मूल रूप में ( बिना विकार ) के संज्ञा के पहले आता है , उसे मूल सार्वनामिक विशेषण कहते हैं ; 

उदाहरण :- यह पुस्तक , वह आदमी , कोई व्यक्ति , कौन लड़का , जो पशु | 

2. यौगिक सार्वनामिक विशेषण  

मूल सर्वनाम में प्रत्यय लगने के बाद विशेषण ऐसा प्रयुक्त होनेवाला सर्वनाम यौगिक सार्वनामिक विशेषण कहलाता है ।

 उदाहरण :-

उस पुस्तक का मूल्य क्या है ?

उसी आदमी को कहो । 

किसी व्यक्ति से पूछो । 

किस लड़के ने कहा है ? 

जैसी करनी , वैसी भरनी । 

पुरुषवाचक और निजवाचक सर्वनामों को छोड़कर शेष सभी सर्वनाम संज्ञा के साथ आकर विशेषण होते हैं । 

सर्वनाम के भेद के अनुसार सार्वनामिक विशेषण के ये उपभेद होते हैं -- 

( 1 ) निश्चितवाचक -- यह पुस्तक , ये पुस्तकें , वह पुस्तक , वे पुस्तकें । 

( 2 ) अनिश्चितवाचक - कोई लड़का , कुछ काम , किसी काम । 

( 3 ) प्रश्नवाचक - कौन लड़का , किन लड़कों , क्या काम , क्या बातें । 

( 4 ) सम्बन्धवाचक - जो लड़का , जिस लड़का । 


संज्ञा विशेषण से विशिष्ट होती है , उसमें विशेषता आ जाती है । 

विशेषणयुक्त संज्ञा विशेषण रहित संज्ञा से विलग हो जाती है, अर्थात् विशेषण व्यक्ति या वस्तु ( व्यक्ति या वस्तु के नाम को संज्ञा कहते हैं ) को दो श्रेणियों में विभक्त कर देता है। 

एक विशेषण से विभूषित छोटी श्रेणी और दूसरी विशेषण से विहीन विशाल श्रेणी । 

अतः , हम कह सकते हैं कि विशेषण विशेष्य के अर्थ की व्यापकता को सीमित कर देता है । 

' गाय ' जातिवाचक संज्ञा है , जिसके अन्तर्गत विश्व की सभी गायें -- उजली , काली , भूरी , लाल , भारतीय , अमेरिकी --आती है ।

पर , ' काली ' विशेषण गाय जाति को सीमित कर देता है -- काली गाय को शेष प्रकार की गायों से अलग कर देता है । 


विशेषण का प्रयोग  

1. उसे सुन्दर टोपी थी । वह परिश्रमी विद्यार्थी है । ऊँचा झण्डा रहे हमारा । 

2. उसकी टोपी सुंदर थी । वह विद्यार्थी परिश्रमी है । झण्डा ऊँचा रहे हमारा । 

प्रथम तीनों वाक्यों में विशेषण विशेष्य के पहले आये हैं और दूसरे तीनों वाक्यों में विशेष्य के बाद । 

इस तरह विशेषण का प्रयोग दो प्रकार से होता है --एक विशेष्य के साथ और दूसरा क्रिया के साथ। 

विशेष्य के पूर्व आनेवाले विशेषण को ' विशेष्य - विशेषण ' और विशेष्य के बाद ( क्रिया ' पूरक ' के रूप में ) आनेवाले विशेषण को ' विधेय विशेषण ' कहते हैं । 

विशेषणों का रूपान्तर

अच्छा लड़का अच्छी पुस्तक पढ़ता है ।                      ( विभक्ति - रहित विशेष्य एकवचन में )

 अच्छे लड़के ने अच्छी पुस्तक को पढ़ा ।                     (विभक्ति - युक्त विशेष्य एकवचन में )

 अच्छे लड़के अच्छी पुस्तकें पढ़ते हैं ।                         (विभक्ति - रहित विशेष्य बहुवचन में )

 अच्छे लड़कों ने अच्छी पुस्तकों को पढ़ा ।                    (विभक्ति - युक्त विशेष्य बहुवचन में ) 

उपर्युक्त वाक्यों को ध्यानपूर्वक देखें । ' अच्छा ' आकारांत विशेषण है । वचन , लिंग एवं कारक के कारण उसमें विकार आता है -- अच्छा , अच्छे , अच्छी। 

1. आकारांत विशेषण में विकार होने के नियम

( i ) विभक्ति - रहित एकवचन पुल्लिंग विशेष्य के लिए आकारांत विशेषण में कोई विकार नहीं होता है ; 

जैसे :- पहले वाक्य में ' लड़का ' एकवचन , पुल्लिंग एवं विभक्ति - रहित है । अतः , उसके लिए ' अच्छा ' विशेषण रहा ।

( ii ) विभक्ति - सहित एकवचन पुल्लिंग विशेष्य के लिए आकारांत विशेषण के अंत्य ' आ ' ( ा ) का परिवर्तन ' ए ' (े) में हो जाता है ; 

जैसे :- दूसरे वाक्य में ' लड़का ' एकवचन और पुल्लिंग है। उसके आगे ' ने ' विभक्ति आने के कारण ही लड़का का रूप लड़के हुआ और ' अच्छा ' का रूप ' अच्छे ' बन गया । 

इसी तरह , अकेला - अकेले , ऐसा - ऐसे , काला - काले , कैसा कैसे , घना - धने , दूसरा - दूसरे , नया - नये , प्यासा - प्यासे , हरा - भरा - हरे - भरे । 

( iii ) विभक्ति - रहित या विभक्ति सहित बहुवचन पुल्लिंग विशेष्य के लिए भी नियम (ii) की तरह ही आकारांत विशेषण के अंत्य ' आ ' ( ा) का परिवर्तन ' ए ' (े) में हो जाता है ; जैसे :-

 तीसरे वाक्य में विभक्ति - रहित बहुवचन पुल्लिंग लड़के ' और चौथे वाक्य में विभक्ति - सहित बहुवचन पुल्लिंग ' लड़कों ' के लिए ' अच्छा ' का रूप ' अच्छे ' बन गया । 

( iv ) स्त्रीलिंग विशेष्य के लिए आकारांत विशेषण के अंत्य ' आ ' ( ा ) का ' ई ' ( ी ) हो जाता है , चाहे यह (स्त्रीलिंग विशेष्य) विभक्ति - रहित हो या विभक्ति - सहित , एकवचन में हो या बहुवचन में ; 

उदाहरण:- चारों उदाहरणों में स्त्रीलिंग विशेष्य पुस्तक ' के लिए आकारांत विशेषण ' अच्छा ' का रूप 'अच्छी ' हो गया ।

 इसी तरह , अकेला - अकेली , ऐसा - ऐसी , काला - काली , कैसा -कैसी , घना - घनी , दूसरा - दूसरी , नया - नयी , प्यासा - प्यासी , हरा - भरा , हरी - भरी । 

( v ) यदि विभक्ति - सहित विशेष्य कर्म कारक में हो और उसके लिए विशेषण का प्रयोग विधेय विशेषण के रूप में हुआ हो , तो उसका ' विधेय विशेषण ' बहुधा अविकृत रहता है ; 

उदाहरण:-मैंने लड़के ( लड़कों , लड़की या लड़कियों ) को अच्छा पाया । गाड़ी को खड़ा करो।


● पुल्लिंग से स्त्रिलिंग एवं स्त्रीलिंग से पुल्लिंग में बदलने का नियम

 

2. आकारांत के अतिरिक्त अन्य प्रकार के विशेषणों में विकार नहीं होता

 जैसे :-सुंंदार लड़का -- सुन्दर लड़की , परिश्रमी बालक - परिश्रमी बालिकाएँ , दयालु पुरुष - दयालु स्त्री , चौरानवे पहाड़ - चौरानवे नदियाँ। 


विशेषणों की तुलना

1. आकाश महत् है । 

2. पृथ्वी आकाश से महत्तर है ।

3. माता सबसे महत्तम है ।

4. हिमालय उच्च पर्वत है ।

5. हिमालय आल्प्स से उच्चतर पर्वत है ।

6. हिमालय उच्चतम पर्वत है ।

 प्रथम वाक्य में आकाश का विशेषण ' महत् ' है , आकाश की तुलना किसी दूसरे से नहीं की गयी है ।

 दूसरे वाक्य में पृथ्वी और आकाश की तुलना की गयी है और पृथ्वी को आकाश से अधिक महत् बताया गया है ।

 तीसरे वाक्य में माता की तुलना सभी वस्तुओं से की गयी है और उसे सबसे अधिक महत् बताया गया है । 

उसी तरह से चौथे , पाँचवें एवं छठे वाक्यों में ' उच्च ' विशेषण का प्रयोग हुआ है । 

प्रत्येक विशेषण के तीन रूप हैं । तुलना के आधार पर विशेषण की तीन अवस्थाएँ हैं :-

1. मूलावस्या - मूलावस्था में विशेषण सामान्य गुण प्रकट करता है । इसमें कोई तुलना नहीं की जाती है ; जैसे :- राम श्रेष्ठ विद्यार्थी है ।

2. उत्तरावस्था - उत्तरावस्था में दो वस्तुओं की तुलना में एक के गुण को दूसरे के गुण से अधिक या कम बताया जाता है , जैसे :- राम श्याम से श्रेष्ठतर विद्यार्थी है ।

 3. उत्तमावस्था - उत्तमावस्था में दो से अधिक वस्तुओं के गुणों की तुलना करके एक के गुण को सबके गुण से अधिक या कम बताया जाता है ; जैसे :- राम श्रेष्ठतम विद्यार्थी है । 

मूलावस्था में विशेषण अपने मूल रूप में रहता है । 

उत्तरावस्था ( दो में से एक में अधिक या न्यून गुण बताने में ) में हिन्दी में ' इससे ' या ' उससे ' और संस्कृत में 'तर' जोड़ते हैं । 

उत्तमावस्था ( बहुत में से एक में अति विशिष्ट गुण बताने) में हिन्दी में ' सबसे ' और संस्कृत में ' तम ' जोड़ते हैं ।


चलते-चलते :

प्रस्तुत हिंदी व्याकरण के अध्याय में आपने जाना की विशेषण किसे कहते है, विशेषण के सभी भेद एवं उनके उदाहरणों को बारीकी से समझा एवं अध्ययन किया।

आशा करता हूँ की आपको ये अध्याय पसंद आया होगा, यदि आपके मन में किसी भी प्रकार का कोई सवाल घूम रहा है तो बेझिझक कमेंट के जरिये पूछे। हमें आपके समस्याओं का समाधान कर के ख़ुशी होगी।

सम्पूर्ण व्याकरण : शब्द > संज्ञा > सर्वनाम > वचन > लिंग > कारक > विशेषण > क्रिया > काल

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