हिंदी व्याकरण का आधार शब्द होता है। इसलिए सबसे पहले हम जानेंगे कि शब्द किसे कहते हैं ?
इसके अलावा हम पढ़ेंगे की शब्द के कितने भेद हैं और उत्पति व्युत्पत्ति एवं रूपांतर के आधार पर शब्दों को किस प्रकार से बांटा गया है।
शब्द किसे कहते है ?
दो या दो से अधिक वर्णों के मेल से बनी ध्वनि को शब्द कहते है।
सार्थक शब्द
वर्णों के उस समूह को, जिसका कोई अर्थ हो , सार्थक शब्द या संक्षेप में शब्द कहते हैं।
निरर्थक शब्द
जिस शब्द का कोई अर्थ नहीं हो , उसे निरर्थक शब्द कहते हैं । शब्द हमारी वाणी के मूलाधार हैं। शब्द असंख्य हैं। उनमें अपार शक्ति है।
शब्दों का अध्ययन बड़ा ही मनोरंजक कार्य है। इनका अच्छा ज्ञान हमारी वाणी को सशक्त और प्राणवान् बना देता है।
व्याकरण का अध्ययन अपनी लिखित भाषा के वाक्यों और शब्दों का अध्ययन करना है।
वाक्य किसे कहते है ?
वाक्य शब्दों के ऐसे समूह हैं , जिनके द्वारा कोई बात सही ढंग से कही जाती है।अतः , भाषा की मूल इकाई शब्द ही है।
● वचन किसे कहते है ?
मुख के अन्दर जिह्वा है ।
शिवजी के मस्तक पर चन्द्र है
मुँह के अन्दर जीभ है ।
शिवजी के माथे पर चाँद है ।
चिड़िया उड़ गयी ।
वह बाप से झगड़ा करता है ।
रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद आज ईद आयी है।
उपर्युक्त वाक्यों के काले शब्दों के अध्ययन से हिन्दी के शब्दों के पांच भेदों एवं श्रोत का पता चलता है।
उत्पत्ति के अनुसार शब्द के भेद
मुख के अन्दर जिह्वा है ।
शिवजी के मस्तक पर चन्द्र है
मुँह के अन्दर जीभ है ।
शिवजी के माथे पर चाँद है ।
चिड़िया उड़ गयी ।
वह बाप से झगड़ा करता है ।
रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद आज ईद आयी है।
उपर्युक्त वाक्यों के काले शब्दों के अध्ययन से हिन्दी के शब्दों के पांच भेदों एवं श्रोत का पता चलता है।
1. तत्सम शब्द
मुख , जिह्वा , मस्तक , चन्द्र शब्दो संस्कृत से ज्यों के त्यों लिखे गये हैं , इन्हें ' तत्सम ( अर्थात् -- उसके संस्कृत के जैसा ) कहते हैं।
उदाहरण : अधर , आश्रय , गोपाल , गृह , चक्र , जिह्वा , द्वन्द्व , धर्म , पुत्र , ब्राह्मण , महिला , यंत्र , लोक , शकट , सत्य , क्षत्रिय , ज्ञान।
उदाहरण : अधर , आश्रय , गोपाल , गृह , चक्र , जिह्वा , द्वन्द्व , धर्म , पुत्र , ब्राह्मण , महिला , यंत्र , लोक , शकट , सत्य , क्षत्रिय , ज्ञान।
2. तद्भव शब्द
मुँह ( मुख से ) , जीभ ( जिह्वा से ) , माथा ( मस्तक से ) , चाँद ( चन्द्र से ) आदि शब्द संस्कृत से उत्पन्न हैं , पर अपने मूल रूपों से परिवर्तित हैं। अतः , इन्हें ' तद्भव ' ( अर्थात् उससे - संस्कृत से - उत्पन्न ) कहते हैं।
उदाहरण : शक्कर, चाँद, ऊंट, चमरा, कचौरी इत्यादि।
3. देशज शब्द
चिड़िया , बाप , झगड़ा आदि शब्द देश की अन्य भाषाओं से या पुरानी बोलियों से आये हैं। अतः , इन्हें ' देशज ' ( अर्थात् देश से उत्पन्न ) कहते हैं।
उदाहरण : कठौती, लोहिया, तगारी, हसुआ, लोटा, कटोरी, ठेठी, ठरहिया इत्यादि।
4. विदेशज शब्द
रमजान और ईद ( अरबी से ) , रोज ( फारसी से ) आदि शब्द विदेशी भाषाओं से आने के कारण ' विदेशज ' या ' विदेशी ' कहलाते हैं।
उदाहरण : जनाब, वहाब, जिक्र, शहनसाह, इस्पात, सिलेट, डाक्टर इत्यादि।
5. संकर शब्द
दो अलग-अलग भाषाओँ के मेल से बने शब्द को संकर शब्द कहते है।
उदाहरण : खुसुर-फुसुर , झीलमिल, चटपट, जेलखाना
फारसी - अन्दर , आबरू , इमारत , कपास , कलम , खाक , गुम , चश्मा , जबान , दरबार , पर्दा , परवाह , बेहूदा , मजा , यार , रास्ता , वकील , शर्म , हफ्ता , होश , हाकिम आदि ।
अरबी - अदब , अमीर , इज्जत , इलाज , औरत , औलाद , एतराज , कब्र , कागज , कानून , खबर , गरीब , जहाज , तकदीर , दफ्तर , फकीर , मजबूर , मदद , लिफाफा , वारिस , हकीम , हराम आदि ।
तुर्की - कैंची , चाकू , तोप , तोशक , बेगम , लाश आदि ।
कुछ और उदाहरण देखें :
फारसी - अन्दर , आबरू , इमारत , कपास , कलम , खाक , गुम , चश्मा , जबान , दरबार , पर्दा , परवाह , बेहूदा , मजा , यार , रास्ता , वकील , शर्म , हफ्ता , होश , हाकिम आदि ।
अरबी - अदब , अमीर , इज्जत , इलाज , औरत , औलाद , एतराज , कब्र , कागज , कानून , खबर , गरीब , जहाज , तकदीर , दफ्तर , फकीर , मजबूर , मदद , लिफाफा , वारिस , हकीम , हराम आदि ।
तुर्की - कैंची , चाकू , तोप , तोशक , बेगम , लाश आदि ।
अँग्रेज़ी - अगस्त , आफिस , इंच , कम्पनी , क्तास , जेल , टिकट , फीस , बहन , बिल , मशीन , मास्टर , मिनिस्टर , रेडियो , स्टेशन आदि ।
पुर्तगाली - कमर , कमीज , तौलिया , फीता , मेज आदि ।
"राम विद्यालय में पंकज का फूल लाया था।" उपर्युक्त वाक्य में राम के खण्ड ' रा ' और ' म ' सार्थक नहीं हैं , अलग - अलग उनका कोई अर्थ नहीं है।
विद्यालय के दोनों ही खण्ड ' विद्या ' और ' आलय ' सार्थक हैं । पंकज के दोनों खण्ड सार्थक हैं , पर उसका अर्थ हो जाता है कमल ।
1. रूढ़ - वे शब्द हैं जिनके खण्ड सार्थक नहीं होते और वे परम्परा से किसी अर्थ में प्रयुक्त होते चले आ रहे हैं ।
पुर्तगाली - कमर , कमीज , तौलिया , फीता , मेज आदि ।
व्युत्पत्ति के अनुसार शब्द के भेद
"राम विद्यालय में पंकज का फूल लाया था।" उपर्युक्त वाक्य में राम के खण्ड ' रा ' और ' म ' सार्थक नहीं हैं , अलग - अलग उनका कोई अर्थ नहीं है।
विद्यालय के दोनों ही खण्ड ' विद्या ' और ' आलय ' सार्थक हैं । पंकज के दोनों खण्ड सार्थक हैं , पर उसका अर्थ हो जाता है कमल ।
अतः व्युत्पत्ति के विचार से शब्दों के तीन भेद हैं-
1. रूढ़ - वे शब्द हैं जिनके खण्ड सार्थक नहीं होते और वे परम्परा से किसी अर्थ में प्रयुक्त होते चले आ रहे हैं ।
जैसे - राम , ज्ञान , तारा , लाल , मोती आदि ।
2. यौगिक - वे शब्द हैं जिनके खण्ड सार्थक होते हैं और खण्डार्थ एवं शब्दार्ध में पूर्ण सम्बन्ध होता है ।
2. यौगिक - वे शब्द हैं जिनके खण्ड सार्थक होते हैं और खण्डार्थ एवं शब्दार्ध में पूर्ण सम्बन्ध होता है ।
जैसे - विद्यालय , राजकुमार , दुर्जन , विद्यार्थी आदि |
3. योगरूढ़ - वे शब्द हैं जिनके खण्ड सार्थक होते हैं , पर शब्द के अर्थ और खण्डों के अर्थ में कोई मेल नहीं है । वे सामान्य अर्थ छोड़कर एक विशेष अर्थ का बोध कराते हैं ।
जैसे - पंकज = पंक से जन्म लेनेवाला अर्थात् कमल। पर , कमल में ' पंक ' और ' ज ' का कोई भी गुण या अर्थ नहीं है ।
लड़का दौड़ता है । लड़के दौड़ते हैं ।
उसे पुस्तक दो । उन्हें पुस्तकें दो ।
लड़की दौड़ती है । लड़कियाँ दौड़ती हैं ।
वह पढ़ता है । वे पढ़ते हैं ।
काला कुत्ता काली बिल्ली पर झपटा ।
इन उदाहरणों में शब्दों के रूपों में परिवर्तन पर ध्यान दीजिए -
लड़का से लड़के , लड़की से लड़कियाँ ( संज्ञा )
वह से वे , उसे से उन्हें ( सर्वनाम )
काला से काली ( विशेषण )
दौड़ता है से दौड़ते हैं , दौड़ती है से दौड़ती हैं ( क्रिया )
हम देखते हैं कि लिंग , वचन , कारक या काल के कारण संज्ञा , सर्वनाम , विशेषण और क्रिया के रूप बदलते हैं ।
इन रूप बदलनेवाले शब्दों को विकारी ( अर्थात् विकार उत्पन्न होनेवाले , बदलने वाले ) शब्द कहते हैं ।
लड़का धीरे - धीरे दौड़ता है ।
लड़के धीरे - धीरे दौड़ते हैं ।
बालक के आगे बालिका थी ।
बालकों के आगे बालिकाएँ थीं ।
बैल और घोड़ा चर रहे हैं ।
बैल और घोड़े चर रहे हैं ।
काश ! मैं सफल होता ।
काश ! हम सफल होते ।
इन उदाहरणों में ' धीरे - धीरे ' शब्द का रूप धीरा - धीरा या धीरी - धीरी नहीं होता । उसी तरह आगे , और , काश शब्दों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ ।
अतः लिंग , वचन आदि के कारण रूप नहीं बदलनेवाले क्रिया - विशेषण , सम्बन्ध - बोधक , समुच्चय - बोधक और विस्मयादिबोधक शब्दों को अविकारी या अव्यय ( अर्यात् नहीं बदलनेवाले ) शब्द कहते हैं ।
विकारी उदाहरण
1. संज्ञा - नगाय , राम , घी , सभा
2. सर्वनाम - मैं , यह , कोई , कौन , जो
3. विशेषण - काला , लाल , आठ , कुछ
4. क्रिया - जाना , खाना , पढ़ना
5. क्रिया विशेषण - तेज , शीघ्र , इधर , कैसे
3. योगरूढ़ - वे शब्द हैं जिनके खण्ड सार्थक होते हैं , पर शब्द के अर्थ और खण्डों के अर्थ में कोई मेल नहीं है । वे सामान्य अर्थ छोड़कर एक विशेष अर्थ का बोध कराते हैं ।
जैसे - पंकज = पंक से जन्म लेनेवाला अर्थात् कमल। पर , कमल में ' पंक ' और ' ज ' का कोई भी गुण या अर्थ नहीं है ।
रूपान्तर के अनुसार शब्द - भेद : विकारी और अविकारी :
लड़का दौड़ता है । लड़के दौड़ते हैं ।
उसे पुस्तक दो । उन्हें पुस्तकें दो ।
लड़की दौड़ती है । लड़कियाँ दौड़ती हैं ।
वह पढ़ता है । वे पढ़ते हैं ।
काला कुत्ता काली बिल्ली पर झपटा ।
इन उदाहरणों में शब्दों के रूपों में परिवर्तन पर ध्यान दीजिए -
लड़का से लड़के , लड़की से लड़कियाँ ( संज्ञा )
वह से वे , उसे से उन्हें ( सर्वनाम )
काला से काली ( विशेषण )
दौड़ता है से दौड़ते हैं , दौड़ती है से दौड़ती हैं ( क्रिया )
हम देखते हैं कि लिंग , वचन , कारक या काल के कारण संज्ञा , सर्वनाम , विशेषण और क्रिया के रूप बदलते हैं ।
इन रूप बदलनेवाले शब्दों को विकारी ( अर्थात् विकार उत्पन्न होनेवाले , बदलने वाले ) शब्द कहते हैं ।
लड़का धीरे - धीरे दौड़ता है ।
लड़के धीरे - धीरे दौड़ते हैं ।
बालक के आगे बालिका थी ।
बालकों के आगे बालिकाएँ थीं ।
बैल और घोड़ा चर रहे हैं ।
बैल और घोड़े चर रहे हैं ।
काश ! मैं सफल होता ।
काश ! हम सफल होते ।
इन उदाहरणों में ' धीरे - धीरे ' शब्द का रूप धीरा - धीरा या धीरी - धीरी नहीं होता । उसी तरह आगे , और , काश शब्दों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ ।
अतः लिंग , वचन आदि के कारण रूप नहीं बदलनेवाले क्रिया - विशेषण , सम्बन्ध - बोधक , समुच्चय - बोधक और विस्मयादिबोधक शब्दों को अविकारी या अव्यय ( अर्यात् नहीं बदलनेवाले ) शब्द कहते हैं ।
इस प्रकार , शब्दों के आठ भेद हुए -
विकारी उदाहरण
1. संज्ञा - नगाय , राम , घी , सभा
2. सर्वनाम - मैं , यह , कोई , कौन , जो
3. विशेषण - काला , लाल , आठ , कुछ
4. क्रिया - जाना , खाना , पढ़ना
5. क्रिया विशेषण - तेज , शीघ्र , इधर , कैसे
6. संबंध - बोधक- ओर , पास , ऊपर , बिना
7. समुच्चय - बोधक- और , लेकिन , या
8. विस्मयादि - बोधक - वाह , अरे , हाय , छिः
7. समुच्चय - बोधक- और , लेकिन , या
8. विस्मयादि - बोधक - वाह , अरे , हाय , छिः
चलते-चलते :
इस आर्टिकल में हमने हिंदी व्याकरण की जान यानि शब्द के बारे में अध्यन किया।
जिसके अंतर्गत हमने जाना की शब्द किसे कहते है एवं शब्दों के भेद पर भी विस्तृत अध्यन किया।
यदि आपको ये आर्टिकल पसंद आया तो सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करे।
इसके अलावा यदि आपके मन में कोई सवाल है तो हमारे साथ कमेंट में बेझिझक शेयर करे।
1 टिप्पणियाँ
Vyakaran itna bhi asan topic nahi hai jitna aaj ke log samajhte hai. Kai baar to sirf ' shabd kise kahte hai ' samajhne me saalo nikal jate lekin wyakti shabd aur unke bhedo ko nahi samajh pata. Aapne jo wishleshan kiya hai uska mai kayal ho chuka hu. Kripya ese hi likhte rahe.
जवाब देंहटाएं