वचन के बारे में अध्यन किये बिना वाक्यों के सही उच्चारण के बारे में हम सोंच भी नही सकते। अतएव इस शैक्षणिक लेख में हम जानेंगे कि वचन किसे कहते हैं एवं इसके कितने प्रकार है।
वचन किसे कहते हैं ?
वचन का मतलब है, 'संख्यावचन'। संख्यावचन को संक्षेप में वचन कहा गया है। संख्या बतानेवाले रूप को वचन कहते हैं।
एक संख्या के बोध करानेवाले को एकवचन और एक से अधिक संख्या के बोध करानेवाले को बहुवचन कहते हैं ।
1. गाय चर रही है ।
2. गायें चर रही हैं ।
3. घोड़ा दौड़ रहा है ।
4. घोड़े दौड़ रहे हैं ।
पहले वाक्य में एक गाय और दूसरे में एक से अधिक गायों के चरने का बोध होता है । उसी तरह तीसरे वाक्य में एक घोड़े और चौथे वाक्य में एक से अधिक घोड़ों के दौड़ने का बोध होता है।
स्पष्ट है कि गाय का बहुवचन 'एँ' लगाकर बना है और घोड़ा का बहुवचन 'ए' लगाकर , अर्थात् सभी शब्दों के बहुवचन रूप एक समान नहीं बनते।
वचन और लिंग का बड़ा घनिष्ठ सम्बन्ध है। निम्नलिखित नियमों का उपयोग लिंग मालूम रहने पर ही हो सकता है।
संज्ञा में कारक के चिह्नों ( विभक्तियों ) के नहीं लगने पर उसके बहुवचन बनाने के नियम यहाँ दिए जा रहे हैं। कारक प्रकरण में विभक्ति रहने पर बहुवचन रूप की विवेचना की जाएगी।
● पुल्लिंग से स्त्रिलिंग एवं स्त्रीलिंग से पुल्लिंग में बदलने का नियम
नियम 1: स्त्रीलिंग शब्दों के बहुवचन रूप में अनुस्वार या चन्द्रविन्दु अनिवार्य है।
● अकारांत स्त्रीलिंग शब्द का अन्त्य ' अ ' बहुवचन में ' एँ ' ( ' ) हो जाता है - आदत आदतें । गाय - गायें | बहन - बहनें । सड़क - सड़कें ।
● आकारांत स्त्रीलिंग शब्द के बहुवचन में ' ए ' जोड़ा जाता है - आत्मा - आत्माएँ । कथा कथाएँ । माता - माताएँ । शाखा - शाखाएँ ।
● इकरांत और ईकारांत स्त्रीलिंग शब्दों के बहुवचन में ' याँ ' जोड़ा जाता है , किन्तु ' ई ' का ' इ ' हो जाता है -- तिथि - तिथियाँ । रीति - रीतियाँ । कहानी - कहानियाँ । देवी - देवियाँ । इकाई इकाइयाँ।
● याकारांत ( ऊनवाचक ) संज्ञाओं के अन्त में केवल अनुनासिक ( चन्द्रबिन्दु ) जोड़ा जाता है - खटिया - खटियाँ । गुड़िया - गुड़ियाँ । चिड़िया - चिड़ियाँ । डिबिया - डिवियाँ । बुढ़िया - बुढ़ियाँ । लुटिया लुटियाँ।
● उकारांत और ऊकारांत स्त्रीलिंग शब्द के बहुवचन में ' एँ ' जोड़ा जाता है , किन्तु ' ऊ ' का ' उ ' हो जाता है - धेनु - धेनुएँ । बहू - बहुएँ ।
● औकारांत स्त्रीलिंग शब्द के बहुवचन में ' एँ ' जोड़ा जाता है - गौ - गौएँ ।
नियम 2 : पुल्लिंग शब्दों के बहुवचन रूप में अनुस्वार या चन्द्रविन्दु कदापि नहीं लगता है।
● हिन्दी आकारांत पुल्लिंग शब्द के बहुवचन में अन्त्य ' आ ' का ' ए ' हो जाता है , पर सम्बन्धवाचक और संस्कृत आकारांत संज्ञाओं के बहुवचन में कोई विकार नहीं होता।
उदाहरण – केला - केले , लड़का - लड़के , पहिया - पहिये , रास्ता - रास्ते । काका - काका , मामा - मामा । पिता - पिता , राजा - राजा ।
● अन्य पुल्लिंग शब्दों के बहुवचन में कोई विकार नहीं होता
एक बालक - चार बालक ।
एक कवि - अनेक कवि ।
एक माली - पाँच माली ।
एक साधु - चौबीस साधु ।
एक डाकू - चार डाकू ।
एक दूबे - बीस दूबे ।
एक भादो - कई भादो ।
एक जौ - पाँच जौ ।
नियम 3 : कुछ शब्द सदा एकवचन में ही प्रयुक्त होते हैं-
आकाश , धरती , सूरज , चन्दा , जनता ।
ये ऐसे पदार्थों के सूचक शब्द हैं , जो एक ही हैं , उनके कई होने का प्रश्न ही नहीं उठता ।
नियम 4 : कुछ शब्द सदा बहुवचन में ही प्रयुक्त होते हैं
आँसू , ओठ , दर्शन , प्राण , लोग , होश ।
आँखों से आँसू बह चले ।
उसके ओठ सूख गये ।
चित्रकूट में तुलसीदासजी को राम के दर्शन हुए ।
मेरे प्राण भी चले जाएँ , पर प्रण - पालन करूँगा ।
लोग डटे रहे ।
उसके होश ठण्ढे हो गये ।
नियम 5 : कुछ शब्दों के बहुवचन 'लोग' , 'जन' , 'गण' , 'वृन्द' आदि बहुवचन - सूचक शब्द जोड़कर बनाते हैं।
लोग - आप लोग यही चाहते हैं । बिहारी लोग सरल होते हैं।
जन - कई विद्वत्जन पधारे हैं । भक्तजन संकीर्तन कर रहे हैं।
गण - शिक्षकगण राष्ट्रनिर्माता हैं । नेतागण मंच पर हैं।
वृन्द - श्रोतावृन्द संगीत सुनकर झूमने लगे। लेखक - वृन्द उदासीन हैं।
नियम 6 : सर्वनामों के बहुवचन रूप
एकवचन - मैं, तू, वह, यह, कौन, क्या, कोई, जो, सो
बहुवचन - हम, तुम, वे, ये, कौन, क्या, जो, सो
नियम 7 : वचन का क्रिया पर प्रभाव
पुल्लिंग
एकवचन हूँ , है ; हो ; या जाता है । गया है । जा रहा है । जायेगा ; जाता होगा ।
बहुवचन हों ; थे ; जाते हैं ; गये हैं । जा रहे हैं । जायेंगे ; जाते होंगे ।
स्त्रीलिंग
एकवचन . हूँ है ; हो ; थी ; जाती है । गयी है जा रही है । जायेगी ; जाती होगी ।
बहुवचन हैं; हों ; थीं ; जाती हैं , गयी है ; जा रही है । जायेंगी ; जाती होंगी।
नियम 8 : आदर - सम्मान सूचित करने के लिए एकवचन के कर्ता के साथ भी बहुवचन क्रिया का प्रयोग होता है।
जैसे पिताजी पूजा कर रहे हैं । माताजी बुला रही हैं । गाँधीजी महापुरुष थे । पंडितजी पूजा करायेंगे।
चलते-चलते :
इस लेख में आपने हिंदी व्याकरण के एक महत्वपूर्ण भाग वचन का अध्ययन किया। जिसके अंतर्गत आपने जाना कि वचन किसे कहते हैं इसके अलावा आपने वचन के भेद एवं उपयोग का भी अध्ययन किया।
यदि आपके मन मे वचन से संबंधित कोई सवाल है या आप हमारे साथ कुछ शेयर करना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स मे शेयर करना न भूलें।
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