प्रस्तुत लेख के माध्यम से हम जानेंगे की संज्ञा किसे कहते हैं एवं संज्ञा के कितने भेद हैं ,
इसके अलावा आप जानेंगे संज्ञा के भेद का विस्तृत विवरण और उससे जुड़े उदाहरण।
ताकि हमारे दैनिक शैक्षणिक क्रियाकलाप के दौरान जब कभी संज्ञा किसे कहते हैं के अलावा संज्ञा के भेद एवं नियम जैसे आसान सवाल आये तो उनका जवाब देना अत्यंत ही आसान हो जाए।
संज्ञा किसे कहते है ?
'नाम' का ही दूसरा अर्थ व्याकरण में 'संज्ञा' भी है। अर्थात किसी व्यक्ति,वस्तु,स्थान इत्यादि के नाम को संज्ञा कहते है।
ये नाम या संज्ञाएँ कई श्रेणियों में विभक्त हैं।
नीचे पाँच वाक्य हैं जिनमें लड़का, कृष्ण, झुंड, मक्खन , लड़कपन के बारे में कुछ कहा गया है।
जब किसी के बारे में कुछ कहा जाएगा, तो उसका नाम लेना ही पड़ेगा।
1. लड़का चंचल होता है ।
2. कृष्ण लड़का थे ।
3. वे मक्खन चुराते थे ।
4. वे बालकों के झुंड में रहते थे ।
5. लड़कपन में ही उनके कार्य अद्भुत थे ।
संज्ञा के कितने भेद है ?
1. जातिवाचक संज्ञा किसे कहते है ?
जिस शब्द से सामान्यतः किसी व्यक्ति या वस्तु की पूरी जाति का बोध होता है , उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं ।
लड़का कहने से संसार के सारे लड़कों का बोध होता है , न कि केवल भारत , अमेरिका या किसी अन्य निश्चित स्थान के लड़कों का।
ऐसे ही शब्द हैं - माता , नदी , मनुष्य , पशु , पक्षी , कुत्ता , तारा आदि ।
2. व्यक्तिवाचक संज्ञा किसे कहते है ?
जिस शब्द से किसी एक ही व्यक्ति या वस्तु का बोध होता है , उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं ।
कृष्ण कहने से एक खास व्यक्ति का बोध होता है , न कि सारे लड़कों या व्यक्तियों का ।
ऐसे ही शब्द हैं - सत्यवान , नारद , हिमालय , दिल्ली , कोशी आदि।
3. द्रव्यवाचक संज्ञा किसे कहते है ?
जिस शब्द से ऐसी वस्तु का बोध होता है , जिसका परिमाण ( अन्दाज ) तौलकर या मापकर ही जाना जाता है , उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं ।
मक्खन कहने से एक ऐसी वस्तु का बोध होता है जिसका परिमाण तौलकर या नापकर ही जाना जाता है ।
ऐसे ही शब्द हैं - दूध , पानी , पीतल , सोना , चाँदी आदि ।
4. समूहवाचक संज्ञा किसे कहते हैं ?
जिस शब्द से बहुत व्यक्तियों या वस्तुओं के समूह का बोध होता है , उसे समूहवाचक संझा कहते हैं ।
'झुंड कहने से न बालक जाति का , न किसी खास बालक का बोध होता है , बल्कि बालकों के समूह का बोध होता है ।
ऐसे शब्द हैं - दल , मंडली , वर्ग , सभा , सेना आदि ।
5. भाववाचक संज्ञा किसे कहते है ?
जिस शब्द से किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण , धर्म , अवस्था , क्रिया या मनोभाव का बोध होता है , उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं ।
लड़कपन कहने से कृष्ण की दशा ( अवस्था ) का बोध होता है । गुण , धर्म , अवस्था , क्रिया और मनोभाव बतानेवाले
ऐसे ही शब्द हैं - सुन्दरता , उल्लास , मुस्कराहट , मित्रता आदि ।
● संज्ञाओं को पहचानने के नियम
जातिवाचक संज्ञा :
1. दोनों वचनों में होती है । जैसे - लड़का - लड़के - लड़कों ; नदी - नदियो . नदियों ; भालू - भालुओं आदि।
2. इनकी गिनती होती है । जैसे - एक लड़का , दो लड़के , हजार लड़के ।
व्यक्तिवाचक संज्ञा :
1. सदा एकवचन में होती है । जैसे - कृष्ण , हिमालय।
2. इसकी गिनती नहीं होती है । जैसे - एक कृष्ण , दो कृष्ण , या दस कृष्ण नहीं होता।
द्रव्यवाचक संज्ञा :
1. एक वचन में होती है। जैसे - मक्खन , पानी , मधु।
2. इसकी गिनती नहीं हो सकती। जैसे - एक पानी , दो पानियाँ या तीन पानियाँ नहीं होता।
3. इसके परिमाण या मात्रा का ज्ञान तौलने या नापने से ही होता है। जैसे - एक किलो मधु , दो लीटर तेल।
समूहवाचक संज्ञा :
1. एक तरह के व्यक्तियों या वस्तुओं का एक समूह , जमायत या ढेर सदा एकवचन में रहेगा। जैसे - झुंड , वर्ग , भीड़ , सभा आदि।
2. इसकी गिनती नहीं होती। जैसे - कुछ व्यक्तियों से बनी भीड़ को भीड़ें या भीड़ों नहीं कह सकते।
भाववाचक संज्ञा :
1. एकवचन में होती है। जैसे - मिठास , लड़कपन।
2. इसकी गिनती नहीं हो सकती। जैसे - एक मिठास या पाँच मिठासें नहीं कहते हैं।
3. जो संज्ञा अन्य चार प्रकार की संज्ञाओं से बोधित व्यक्ति या वस्तु का नाम न हो , बल्कि वैसे व्यक्ति या वस्तु के गुण, अवस्था या भाव बताती हो।
जैसे - लड़का का लड़कपन , कृष्ण का कृष्णत्व , मक्खन की चिकनाहट और झुंड की विशालता भाववाचक संज्ञाएँ हैं।
● संज्ञा के भेदों में प्रयोग से परिवर्तन
1. सूर वात्सल्य रस के अद्वितीय कवि हैं ।
पुरी की रथयात्रा दर्शनीय है ।
सूर ( अंधा ) और पुरी ( नगर ) जातिवाचक संज्ञाएँ हैं। पर इनका प्रयोग यहाँ क्रमशः सूरदास और जगन्नाथपुरी के लिए हुआ है ।
ऐसे अन्य शब्द हैं - गोस्वामीजी ( -तुलसीदास ) , दाऊ ( बलदेव , कृष्ण के भाई ) , देवी ( = दुर्गा ) , बा ( -कस्तूरबा ) , बापू ( = महात्मा गाँधी ) ,
संगम ( = गंगा , यमुना और सरस्वती का संगम - स्थान जो इलाहाबाद के झूसी नामक स्थान के पास है ) , संवत् ( = विक्रमीय ) , सन् ( ईसवी )।
अतः , जब ' जातिवाचक संज्ञा ' से किसी व्यक्ति या वस्तु विशेष का बोध हो , तो वह व्यक्तिवाचक हो जाती है ।
2. समुद्रगुप्त भारत का नेपोलियन है ।
कालिदास भारत के शेक्सपीयर हैं।
राममूर्ति कलियुगी भीम हुए ।
नेपोलियन , शेक्सपीयर और भीम व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ एकवचन में हैं। पर , इनके गुण की समता क्रमशः समुद्रगुप्त , कालिदास एवं राममूर्ति के गुण से है। इनका प्रयोग यहाँ जातिवाचक संज्ञा के रूप में हुआ है।
अतः , कुछ ' व्यक्तिवाचक संज्ञाओं का प्रयोग उनके गुणों के आधार पर ' जातिवाचक संज्ञाओं के रूप में होता है।
3. मिरजाफरों से सावधान रहो।
कुछ मधुओं में मिलावट पायी जाती है।
आजकल सभाएँ शांति से सम्पन्न नहीं होती हैं। पानीपत की लड़ाइयाँ भारत के भाग्य - निर्णायक रही हैं।
व्यक्तिवाचक संज्ञा 'मिरजाफर' से उसके गुणवाले सभी व्यक्तियों के लिए 'मिरजाफरों', द्रव्यवाचक संज्ञा ' मधु ' से उसके प्रकार सूचित करने के लिए 'मधुओं',
समूहवाचक संज्ञा ' सभा ' से उसकी संख्या सूचित करने के लिए ' सभाएँ तथा भाववाचक संज्ञा ' लड़ाई ' से उसकी संख्या या जाति सूचित करने के लिए ' लड़ाइयों ' का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा के रूप में हुआ है।
अतः व्यक्तिवाचक , द्रव्यवाचक , समूहवाचक और भाववाचक संज्ञाएँ बहुवचन होने पर जातिवाचक संज्ञाएँ हो जाती हैं।
चलते-चलते :
जहाँ तक हिंदी व्याकरण के अध्यन का प्रश्न है, संज्ञा को एक महत्वपूर्ण अंग के रूप में जाना जाता है।
खैर इस article के अंतर्गत हमने जाना की संज्ञा किसे कहते है इसके साथ ही हमने संज्ञा के सभी भेदों का गहराई से अध्यन किया।
सम्पूर्ण व्याकरण : शब्द > संज्ञा > सर्वनाम > वचन > लिंग > कारक > विशेषण > क्रिया > काल
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