जैन धर्म पर निबंध के अंतर्गत जानिए जैन धर्म की विशेषताएं एवं मान्यताएं, जो जैन धर्म को मानने वालों को सबसे अलग बनाती है.
जैन धर्म | Jain Dharam In Hindi
'अहिंसा परमो धर्मः', वह जैनियों का मूल मंत्र है। जीव हत्या इनके लिए महापाप है। कहा जाता है कि जब भारत में चारों ओर अँधेरा छाया हुआ था।
लोग अशांत जीवन जी रहे थे, उसी समय उत्तर भारत में दो बालकों ने जन्म लिया था। वे दोनों बालक राजकुमार थे।
अरब में जो कार्य पैगंबर मुहम्मद साहब ने किया तथा जर्मनी में जो कार्य मार्टिन लूथर किंग ने किया था, भारत में वही काम इन दोनों बालकों ने बड़े होकर किया।
इन दोनों बालकों का नाम क्रमशः महावीर स्वामी और गौतम बुद्ध था। महावीर स्वामी को जैन धर्म का चौबीसवाँ तीर्थंकर कहा जाता है।
जैनों में जितने भी उनके प्रमुख धार्मिक नेता हुए हैं, उन्हें संख्या के साथ 'तीर्थकर' कहा जाता है। यों तो भगवान् महावीर को जैन धर्म का प्रवर्तक माना जाता है।
लेकिन सही मायने में प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव (ऋषभनाथ) को इस धर्म की स्थापना का श्रेय दिया जाता है। जैन परंपरा के अनुसार, महावीर जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर थे।
जैन धर्म के अनुवायी चौबीस तीर्थंकरों में विश्वास करते हैं। महात्मा पार्श्वनाथ तेईसवें और महावीर स्वामी चौबीसवें तीर्थंकर थे।
पाश्र्वनाथ ईसा से लगभग सातवाँ शताब्दी-पूर्व पैदा हुए थे। जैन धर्म को आगे बढ़ाने में महात्मा पार्श्वनाथ का महत्त्वपूर्ण योगदान था।
महात्मा पार्श्वनाथ ने हर तरह से जैन धर्म को लोकप्रिय बनाने के लिए कार्य किया। उसके बाद महावीर स्वामी आए। उन्होंने हर तरह से सुधार करके जैन धर्म में नई जान डाल दी।
उन्होंने अपने उपदेशों से जनता पर बहुत अधिक प्रभाव डाला। उनके उपदेशों से प्रभावित होकर अधिकांश लोगों ने जैन धर्म को स्वीकार कर लिया।
जैन धर्म की मान्यताएं
जैन धर्म ढकोसलों से बहुत दूर है। यह धर्म बहुत ही उदार है और हिंसा करनेवालों की निंदा करता है। जैन धर्म का मूल स्वर है-हिंसा से दूर रहो। इसके अतिरिक्त जैन धर्म का कहना है।
- चोरी नहीं करनी चाहिए।
- किसी से चाह नहीं रखनी चाहिए।
- झूठ नहीं बोलना चाहिए।
- मन से, वचन से और कर्म से शुद्ध रहना चाहिए।
- इंद्रियों को वश में रखना चाहिए।
जैनी लोग अपने जीवन को बहुत सीधे और सरल तरीके से जीते हैं। ये लोग धर्म को अपने जीवन में बहुत ही महत्त्व देते हैं।
जीवन का लक्ष्य मोक्ष को मानते हैं। माँस का अर्थ संसार में जीवात्मा के आवागमन से मुक्त हो जाना है। मोक्ष की प्राप्ति तब होती है जब मनुष्य कर्म के बंधन से मुक्ति पा लेता है।
यही कारण है कि जैनी लोग मोक्ष पाने के लिए तीन तरह के रास्ते अपनाते हैं, जो निम्नलिखित हैं-
- सम्यक् दर्शन,
- सम्यक ज्ञान और
- सम्यक् चरित्र |
1 टिप्पणियाँ
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