पुल्लिंग से स्त्रिलिंग एवं स्त्रीलिंग से पुल्लिंग में बदलने का नियम

पुल्लिंग को स्त्रीलिंग एवं स्त्रीलिंग को पुल्लिंग बनाना हिंदी भाषियों के लिए एक महत्वपूर्ण भाग होता है। क्योंकि अंग्रेजी की तुलना में हिंदी बोलते वक्त लिंग का ख्याल रखना अत्यावश्यक हो जाता है।

अतएव इस पाठ में हम जानेंगे कि पुल्लिंग को स्त्रीलिंग में कैसे बदलें और स्त्रीलिंग को पुल्लिंग में कैसे बदलें। इसके अलावा इस प्रक्रिया के दौरान स्त्रिलिंग-पुल्लिंग में बदले जाने के नियमो का भी अध्ययन करेंगें।

पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने का नियम

पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने के कुल 8 नियम हैं। ये नियम प्रायः उन्हीं प्राणिवाचक शब्दों में लगते हैं, जिनके जोड़े हैं।

नियम 1. अकारांत या आकारांत पुल्लिंग शब्दों के अन्त्य 'अ' या 'आ' को 'ई' में बदलने से दास - दासी , देव - देवी , नर - नारी ; काका - काकी , घोड़ा - घोड़ी , मामा - मामी , लड़का - लड़की आदि ।

नियम 2. कुछ संस्कृत अकारांत शब्दों में 'आ' या 'क' के स्थान पर 'ईया' जोड़ने से छात्र - छात्रा , प्रिय - प्रिया , पूज्य - पूज्या , बाल - बाला ; नायक - नायिका , पाठक - पाठिका , बालक बालिका , लेखक - लेखिका आदि ।

नियम 3. 'वा' प्रत्ययांत शब्दों के 'वा' को 'इया' में बदलने से कुतवा - कुतिया , घोड़वा - घोड़िया , बचवा - बचिया , बछवा - बछिया , बछेड़वा - बछेड़िया , बुढ़वा बुढ़िया आदि ।

नियम 4. कुछ शब्दों में 'नी' जोड़ने से ऊँट - ऊँटनी , चोर - चोरनी , जाट - जाटनी , भील - भीलनी , मोर - मोरनी , शेर - शेरनी , सिंह - सिंहनी , हाधी - हथिनी आदि ।

 

pulling se striling me kaise badle, striling se pulling me kaise badle

नियम 5. कई उपनामवाची तथा कुछ अन्य शब्दों में 'आनी' जोड़ने से चचा - चचानी , जेठ - जेठानी , देवर - देवरानी , ठाकुर - ठाकुरानी , पण्डित - पण्डितानी , सेठ - सेठानी , नौकर - नौकरानी , मेहतर - मेहतरानी , खत्री - खत्रानी , चौधरी - चौधरानी , मामू - समानी आदि ।

नियम 6. कई उपनामवाची या वर्णवाची शब्दों में ' आइन ' जोड़ने से चौबे - चौबाइन , दूबे - दुबाइन , ठाकुर - ठकुराइन , पण्डा - पण्डाइन , बाबू - बबुआइन , लाला - ललाइन आदि ।

नियम 7. व्यवसायवाची तथा कुछ अन्य शब्दों में ' इन ' जोड़ने से अहीर - अहीरिन , ग्वाला - वालिन , चमार - चमारिन ( चमाइन ) , जुलाहा - जुलाहिन , तेली - तेलिन , लुहार - लुहारिन , सुनार - सुनारिन , ऊँट - ऊँटिन , बाघ - बाधिन , साँप - साँपिन , हंस - हंसिन आदि ।

नियम 8. अनियमित रूप से बननेवाले शब्द पिता - गाता , बाप - माँ , भाई - बहन , बेटा - पतोहू , दामाद - बेटी , बैल ( साँड़ ) -गाय , मियाँ - बीवी , ससुर सास , राजा - रानी , पुरुष - स्त्री आदि ।

स्त्रीलिंग से पुल्लिंग बनाने का नियम

स्त्रीलिंग से पुल्लिंग बनाने के 2 नियम है। ये वही नियम है जो पुरातन व्याकरण में वर्णित है।

कुछ शब्द मूल रूप में स्त्रीलिंग हैं । पुल्लिंग बनाने में इन स्त्रीलिंग शब्दों में ही प्रत्यय लगाने पड़ते है ।

नियम 1. कई प्राणिवाचक स्त्रीलिंग शब्दों में 'आ' , 'आव' या 'ओई' जोड़ने से- राँइरंडा , भैंस - भैंसा , बिल्ली - बिलाव , ननद - ननदोई , बहन - बहनोई ।

नियम 2. कई अप्राणिवाचक स्त्रीलिंग शब्दों में 'अ' या 'और' जोड़ने से- टिकडी-टिकड, लकड़ी-लकड़, अधन्नी-अधन्न, गठरी-गठरा।

● संज्ञा किसे कहते है ?

● वचन किसे कहते हैं ?

चलते-चलते :

प्रस्तुत पाठ में हमने पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने के नियम एवं स्त्रीलिंग से पुल्लिंग बनाने के नियमों को जाना।

व्याकरण की दृष्टि से किसी भी वाक्य के शुद्ध उच्चारण हेतु लिंग का ज्ञान होना अनिवार्य है।

इससे पहले हमने जाना था कि लिंग किसे कहते है , आगे के पाठ में हम वाक्य प्रयोग द्वारा लिंग निर्णय करना सीखेंगे।

सम्पूर्ण व्याकरण : शब्द > संज्ञा > सर्वनाम > वचन > लिंग > कारक > विशेषण > क्रिया > काल

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