बिहार पर निबंध - मेरे सपनों का बिहार

बिहार पर निबंध : एक बिहारी होने के कारण आपको गौरवान्वित होना चाहिए। बिहार के गौरवशाली इतिहास एवं वर्तमान परिस्थितियों को समझने में वर्तमान बिहार पर निबंध एवं मेरे सपनों का बिहार आपकी काफी सहायता करेगा।

इसके साथ ही बिहार दिवस के मौके हो या अन्य निबंध प्रतियोगिता, Hindi essay on Bihar लिखकर बड़ी ही आसानी से आप अपने शिक्षकों एवं श्रोताओं को लुभा सकते हैं।

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बिहार पर निबंध | Hindi essay on Bihar

प्रस्तावना : बिहार भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है । इसकी गणना देश के एक बड़े राज्य में होती है।

भौगोलिक क्षेत्रफल तथा जनसंख्या के दृष्टिकोण से बिहार का स्थान भारत में अपना विशिष्ट महत्त्व रखता है ।

इसलिए कहा जाता है कि , " यदि भारत का विकास करना है तो बिहार का विकास करना आवश्यक है । "

बिहार की मृदा अत्यंत उर्वर है । यहाँ अनेक नदियों का जाल सा बिछा हुआ है । प्रकृति भी अपने वैभव से इसके स्वरूप को सुन्दर बना रही है , सभी ऋतुएँ यहाँ के वातावरण को स्निग्धता प्रदान कर रही हैं ।

गौरवशाली इतिहास :

बिहार का इतिहास भी अत्यंत गौरवशाली रहा है। यहाँ तक कि वर्तमान बिहार पर निबंध के छोटे से भाग में इसे समेटा नही जा सकता।

बिहार की पावन भूमि में ही गौतम - बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था । महावीर ने शांति का संदेश यहीं दिया था ।

चन्द्रगुप्त , अशोक , शेरशाह , गुरू गोविन्द सिंह , वीर कुँअर सिंह , देशरत्न डॉ ० राजेन्द्र प्रसाद , लोक नायक जयप्रकाश नारायण जैसे महान शासकों एवं विभूतियों का प्रादुर्भाव इसी गौरवशाली बिहार हुआ था ।

बिहार में ही महात्मा गाँधी ने " चम्पारण आन्दोलन का बिगुल फूंका था ।

लोकनायक जयप्रकाश नारायण की " सम्पूर्ण क्रांति " का रंगमंच बिहार ही रहा था जहाँ से सम्पूर्ण क्रांति के नारे का उद्घोष सम्पूर्ण भारतवर्ष में हुआ ।

बिहार की वर्तमान समस्याएँ :

वही बिहार आज अनेकों समस्याओं से घिरा हुआ है । यहाँ गरीबी , बेरोजगारी , भ्रष्टाचार और अशान्ति का माहौल है ।

15 नवम्बर 2000 ई ० को बिहार से झारखंड के अलग हो जाने के बाद खनिज बाहुल्य क्षेत्र झारखंड में चले गए और बिहार के पास केवल उर्वरक भूमि तथा नाममात्र के कुछ उद्योग बच गए ।

बिहार की कृषि के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा सिंचाई की सुविधा का अभाव , बाढ़ और सूखा है ।

प्रकृति का कोप कभी अतिवृष्टि तो कभी अनावृष्टि के रूप में प्रकट होता है ।

जनसंख्या में अप्रत्याशित वृद्धि तथा गरीबी , वेरोजगारी जैसी अनेक समस्याएँ स्थिति की गंभीरता को बढ़ा रही हैं ।

अत : रोजी - रोजगार की तलाश में बेरोजगार व्यक्तियों का अन्य राज्यों में पलायन जारी है ।

झारखंड अलग राज्य बन जाने से खनिज सम्पदा , वन - सम्पदा , बड़े - बड़े कल - कारखाने आदि आर्थिक साधन तथा अन्य परिसम्पत्तियों से भी बिहार को हाथ धोना पड़ा ।

अब केवल कृषि भूमि ही एकमात्र मूल साधन है जिसपर बिहार की कुल जनसंख्या को 80 % आबादी निर्भर करती है ।

वर्तमान पिछड़ापन के उत्तरदायी कारक : essay on bihar in hindi

बिहार की वर्तमान दुर्दशा , अपंगता एवं पिछड़ापन के लिए उसका विभाजन जितना उत्तरदायी है उससे अधिक राजनीतिक कारण है ।

विभाजन के फलस्वरूप खनिज एवं वन सम्पदा , बड़े - बड़े कल - कारखाने तथा उद्योग धंधे उसके हाथ से निकल कर नए राज्य झारखंड के हिस्से में चले गए ।

फिर भी हमारा बिहार प्रदेश कृषि एवं कृषि आधारित उद्योगों से समृद्ध हो सकता था ।

परन्तु 16 वर्षों का राष्ट्रीय जनता दल शासनकाल संक्रमण का काल रहा । विकास के कार्य अवरुद्ध हो गए । जनता त्रस्त थी ।

सन् 2005 में नई सरकार ने आते ही जनता को राहत मिली । आज बिहार सर्वतोमुखी विकास के पथ पर अग्रसर है ।

सामाजिक , आर्थिक और शैक्षिक प्रगति की ओर बिहार निरन्तर विकास के नए प्रतिमान स्थापित कर रहा है ।

प्रत्येक गाँव में सड़क , बिजली , सिंचाई , स्वास्थ्य , पेयजल तथा शिक्षा की सुविधाएँ उपलब्ध हो रही हैं ।

यह संतोष की बात है कि विगत वर्षों में बिहार के विकास के लिए कारगर प्रयत्न किए गए हैं तथा यह क्रम अनवरत् जारी है ।

आशा की जानी चाहिए कि निकट भविष्य में बिहार देश के अग्रणी राज्यों में अपना स्थान बना लेगा तथा राष्ट्र के विकास की प्रक्रिया में सार्थक एवं सक्रिय भूमिका अदा करेगा ।

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वर्तमान बिहार पर निबंध के क्रम में आपने बिहार की कई सारी गौराव गाथाओं के बारे में पढ़ा है। साथ ही आपने hindi essay on Bihar भी लिखना सिखा।

खैर ये बाते तो निर्भर करती है कि आपने बिहार पर निबंध को कितनी गंभीरता से पढ़ा है।

यदि आपने इस निबंध को गंभीरता से पढ़ा है। तो निश्चय ही आपको बिहार के बारे में काफी मजेदार और रोचक जानकारी मिली होगी।

आपको बिहार के बारे में क्या अच्छा लगता है, नीचे कमेंट बॉक्स में मेरे साथ जरुर शेयर करें।

मेरे सपनों का बिहार निबंध | Bihar Of My Dreams

मेरे सपनों का बिहार निबंध के जरिये जानिए Bihar के उस स्वरुप को जिसकी कल्पना हम सभी बिहारवासी किया करते है.

इस निबंध के जरिये आप बिहार के एक गौरवपूर्ण राज्य बनने की काल्पनिक रुपरेखा से रूबरू होंगे.

आखिर है भी तो ये मेरे सपनों का बिहार और सपनों के सच होने में एक दृढ संकल्प के साथ मेहनत और समय दोनों की आवश्यकता होती है.

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भारतवर्ष में बिहार प्रांत का इतिहास अत्यंत गौरवपूर्ण रहा है। यही वह प्रांत है जिसे आर्यभट्ट जैसे खगोलविद् की जन्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है। 

ध्यातव्य है कि आर्यभट्ट ने ही संसार को इस खगोलीय सत्य से अवगत कराया कि सूर्य अचल है जिसकी परिक्रमा पृथ्वी करती है । 

सर्वप्रथम इसी भूभाग की जनता तीर्थकर महावीर और भगवान बुद्ध के महत्वपूर्ण जीवनोपदेशों से लाभान्वित हुई ।

तत्पश्चात उनके अनुयायी धर्मप्रचारार्थ अन्यत्र गये । 

आज भी कई देशों में बौद्ध धर्मावलंबी भगवान बुद्ध को अपना देवता मानते हैं। किन्तु इस प्रांत का वर्तमान परिदृश्य कुछ और ही बयां करता है। 

बिहार प्रांत में चतुर्दिक सुख - शांति व्याप्त हो यह कामना समस्त प्रांतवासियों की है। 

किन्तु बदलते समय के साथ यहाँ का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहाँ कि आर्थिक , सांस्कृतिक व मानवीय मूल्यों में गिरावट नहीं आयी है। 

आज स्वार्थ में अंधे होकर जो जहाँ है छीना - झपटी में लगा है। 

यहाँ की अर्थव्यवस्था प्रारंभ से ही कृषि पर निर्भर करती रही है. 

बावजूद इसके यहाँ के किसान अपनी अभावग्रस्तता समय पर साधनों के अनुपलब्ध रहने तथा उन्नत किस्म के बीच खाद आदि के अभाव के कारण कृषि का भरपूर लाभ उठा पाने से वंचित रहते आये हैं । 

इतना ही नहीं चरित्राभाव भी इस प्रांत की एक बड़ी समस्या रही है जिससे आजतक यह प्रांत उबर नहीं पाया है । इनके अतिरिक्त और भी अनेक समस्याएँ यहाँ विद्यमान हैं। 

किसी भी देश और प्रांत का भविष्य तबतक उज्ज्वल नहीं हो सकता है जबतक कि उसका बहुमुखी सार्वभौम और सर्वांगीण विकास नहीं होता है और यह तभी संभव है जब भौतिक और आध्यात्मिक शक्तियाँ संगठित होकर उस दिशा में सक्रिय हो । 

यद्यपि स्वतंत्रता प्राप्त हुये आधी शताब्दी से भी अधिक समय पीछे छुट चुका है किन्तु आज भी इस प्रांत के निवासियों को विभिन्न परिस्थितियों से जूझना पड़ रहा है। 

इस प्रांत में बाढ़ की समस्या पूर्ववत् बनी हुई है जबकि इस मद में सालाना अच्छा - खासा खर्च होता है। किन्तु बाढ़ - पीड़ितों को समान रूप से राहत सामग्री तक प्राप्त होने से रहती है। 

बाढ़ की विभीषिका झेलना बिहार प्रांत के बहुसंख्यक निवासियों के लिए नियति बन गई है। इसी प्रकार कई अन्य क्षेत्रों में भी अलग - अलग समस्याएँ हैं जिनसे वहाँ के निवासियों को सदा रूबरू होना पड़ता है। 

बेरोजगारी उनमें से प्रमुख समस्या है जिससे निजात पाने के लिए यहाँ से न केवल श्रमिकों का पलायन हो रहा है अपितु पढ़े - लिखे लोगों को भी बाहर जाने को विवश होना पड़ रहा है। 

ऐसा बिटार यहाँ के निवासियों का सपना कतई नहीं हो सकता है। 

बिहारवासियों के लिए अपने सपने का बिहार तभी साकार होता माना जायेगा, 

जब यह प्रांत तमाम परिस्थितियों से उबरेगा , अच्छी सड़कें होंगी , सबको शिक्षा - प्राप्ति का समान अवसर मिलेगा , सबको चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध होगी , प्रांत अपराध मुक्त होगा , सभी को रोजगार प्राप्त होंगे , सभी को सुरक्षा प्राप्त होगी , भ्रष्टाचारमुक्त यहाँ की व्यवस्था होगी , समूचा प्रांत एक परिवार के रूप में विकास प्राप्त करेगा । 

सपने का बिहार एक दिन अवश्य साकार होगा ऐसी आशा की जा सकती है । 

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की निम्नांकित पंक्ति हमें आशान्वित रहने की प्रेरणा देती है- 

आशा से आकाश थमा है श्वांस - तंतु कब टूटे।

चलते चलते : मेरे सपनों का बिहार पर निबंध आपको कैसा लगा 

आपने बिहार पर निबंध के अंतर्गत बिहार के एक काल्पनिक परिदृश्य का जायजा लिया, आपको यह कैसा लगा निचे कमेंट बॉक्स में जरुर बताये.

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ताकि उन्हें भी bihar के काल्पनिक लेकिन बेहतरीन स्वरुप का अनुभव हो सके.

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