अनुशासन पर निबंध : मानव को आदिम स्थिति से उठाकर वर्तमान सभ्यता और संस्कृति के स्तर तक लाने में जिन तत्त्वों का सबसे प्रमुख स्थान रहा है , उनमें विद्यार्थी और अनुशासन का महत्व सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है ।
छात्र और अनुशासन पर निबंध
छात्र जीवन में अनुशासन का महत्व बहुत ही ज्यादा होता है। जिसे समझने के लिए छात्रों को बचपन से ही अनुशासन पर निबंध के जरिये इसकी शिक्षा दी जाती है।
नियमों की अनुगामिता ( पीछे चलना ) से जीवन में व्यवस्था आती है और व्यवस्था ही सफलता की कुंजी है ।
व्यक्ति अनुशासन के माध्यम से समय के महत्व को समझता है ।अनुशासन के द्वारा व्यक्तिगत स्वच्छंदता पर रोक लगती है और व्यक्ति का आत्मिक उन्नयन होता है ।
अनुशासन का अर्थ क्या है ?
अनुशासन का सामान्य अर्थ है - किसी विधान या निर्देश को मानते हुए उसके अनुसार आचरण करना ।
' अन + शासन ' , अर्थात् शासन के पीछे चलना , नियमों का अनुगमन करना।
अनुशासन का महत्व
अनुशासन सामाजिकता को बढ़ावा देता है और व्यक्ति को समाज से जोड़ता है ।
शिष्टाचार अनुशासन का ही अधिक व्यावहारिक रूप है।
'शिष्टाचार' का अर्थ है शिष्ट आचरण' और 'शिष्ट' का अर्थ होता है 'अनुशासित' ।
अतः जो अनुशासित होगा वह शिष्ट आचरणवाला भी होगा।
दोनों में अन्तर केवल इतना ही है कि अनुशासन जहाँ किसी व्यवस्था के नियमों या मर्यादाओं में बंधकर चलने की मांग करता है वहां शिष्टाचार दूसरों से यथायोग्य भद्र व्यवहार की।
उदाहरण के लिए, माता-पिता या गुरुजनों की आज्ञा न मानना जहाँ अनुशासन का उल्लंघन है वहां समुचित अवसर पर उनका अभिवादन न करना शिष्टाचार का अभाव।
समाज का जीवन जहाँ अनुशासन के पालन के कारण चलता है वहां उसकी सामाजिकता शिष्टाचार की बदौलत बनी रहती है ।
सूक्ष्मता से विश्लेषण किया जाए तो अनुशासन का संबंध जीवों के नैसर्गिक स्वभाव से है।
चीटियाँ , मधुमक्खियाँ , हाथी , पशु - पक्षी आदि समूह में रहना पसंद करते हैं ताकि वे सुगमता से आहार - संग्रह और आत्म - संग्रह कर सके। झंड में रहना इनके लिए अनुशासन हो जाता है ।
प्रारंभ में मनुष्य को भी प्राकृतिक अनुशासन में रहना, पड़ता था । इसके बाद कृषि - जीवन के आरंभ होने पर परिवार और गाँव अस्तित्व में आए और , इनके साथ अस्तित्व में आए कुछ नियम जिनको मानना परिवार के सदस्यों और गाँव के लोगों के लिए अनिवार्य हो गया।
जैसे - जैसे सभ्यता का विकास होता गया , वैसे - वैसे अनेक सामाजिक संस्थाएँ अस्तित्व में आती गईं।
देश , राष्ट्र एवं जातीय अस्मिता की भावना बलवती होगी - गई।
इनके साथ सामाजिक , राजनीतिक और सांस्कृतिक सीमा निर्धारित होती गई अर्थात अनुशासन का क्षेत्र व्यापक होता गया।
अनुशासन के दो भेद हैं - बाहा और आंतरिक।
समाज , संस्था , राज्य आदि के नियम याहा शासन के अंतर्गत आते हैं।
मानव की आंतरिक प्रवृत्तियों को विचारों द्वारा प्रभावित कर निश्चित दिशा की ओर प्रवृत्त करना आंतरिक अनुशासन है ।
बाहा अनुशासन उच्छऋंखलता पर अंकुश लगाता है और आंतरिक अनुशासन व्यक्ति का आत्मबल विकसित कर उसे ( व्यक्ति को ) श्रेष्ठता की ओर प्रवृत्त करता है।
छात्रों को अनुशासन - प्रिय होना अत्यन्त आवश्यक है , क्योंकि वे ही राष्ट्र के भावी कर्णधार , हैं।
सच तो यह है कि शिक्षकों और गुरुजनों के अनुशासन में रहकर ही छात्र समुचित रीति से विद्या ग्रहण करते हैं और अपने चरित्र को उन्नत बनाते हैं।
आजकल प्राय : समाचारपत्रों में छात्रों की अनुशासनहीनता के समाचार प्रकाशित होते रहते हैं।
प्रश्न उठता है कि छात्र ऐसे दुष्कृत्य ( बुरे कार्य ) क्यों करते हैं ?
छात्र तो कुछ घंटों के लिए ही शिक्षण संस्थानों में आते हैं। उनका अधिकांश समय तो घर ही में बीतता है। घर को प्राथमिक पाठशाला कहा जाता है।
अत : माता - पिता और अभिभावकों का कर्तव्य है कि वे अपने - अपने बच्चों को अनुशासित रखें और उन्हें अनुशासन का महत्त्व बताएँ।
अनुशासन के साथ करे चरित्र निर्माण
छात्र के जीवन में चरित्रबल का सर्वोपरि स्थान है । चरित्र से बढ़कर किसी मूल्यवान वस्तु की परिकल्पना नहीं की जा सकती है।
यह चरित्र वल ही है जिसके द्वारा छात्र जो चाहे प्राप्त कर सकता है।
शिष्टाचार पारिवारिक एवं सामाजिक सुखों की कुंजी है।
इसके पालन से व्यक्ति की लोकप्रियता बढ़ती है और जीवन में सुख तथा गरिमा का समावेश भी होता है।
कारण, प्रत्येक व्यक्ति अपने परिवार एवं समाज स्वयं के लिए मा योग्य सम्मान पाते रहना चाहता है, पर यह तो तभी सम्भव है जब हम परिवार एवं उसके बाहर समाज के अन्य सदस्यों को यथायोग्य सम्मान देते रहे, उसके साथ भला बर्ताव करते रहें।
यदि हर व्यक्ति अनुशासन और शिष्टाचार के पालन को अपने जीवन का मूल मंत्र मान ले तो क्या परिवार और क्या साज-पूरे राष्ट्र का भी नैतिक उन्नयन हो सकता है, जो सभी प्रकार के विकास एवं प्रगति का मूल रहस्य है।
इसलिए हमें शिष्टाचार और अनुशासन का तत्परता से पालन करना चाहिए ।
चरित्र क्या है ?
सामान्यतः चरित्र मानव - स्वभाव की वह विशेषता है जिससे व्यक्ति पहचाना जाता है।
दूसरे शब्दों में चरित्र व्यक्ति की पहचान है जिससे वह दूसरों से भिन्न रूप में ज्ञात होता है, अन्यथा शारीरिक दृष्टि और आहार , निद्रा , भय और मैथुन की दृष्टि से तो हर मनुष्य समान ही होता है।
यूँ तो चरित्र संस्कार से ही मनुष्य को प्राप्त होता है लेकिन चरित्र को परिश्रम , संगति और प्रयत्न से भी पाया जा सकता है।
जब हम चरित्र की बात करते हैं तो हम यह मानते हैं कि छात्र पर वातावरण का प्रभाव पड़ता है और वातावरण के अनुसार ही उसका चरित्र बनता है ।
अन्य चीजों के विषय में हम जिस प्रकार अच्छे - बुरे की धारणा रखते हैं , उसी तरह चरित्र के विषय में भी हमारी धारणा होती है।
जो व्यक्ति अपने कर्म से अपना उत्थान करता है , समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होता है।
जिसमें मनुष्यता के श्रेष्ठ गुण प्राप्त होते हैं उसे हम सच्चरित्र कहते हैं और जो अपने आचरण से समाज के नैतिक मानदण्डों , श्रेष्ठ गुणों और मूल्यों की कसौटी पर खांटा सिद्ध होता है , उसे दुश्चरित्र कहते हैं।
दुश्चरित्र छात्र अपने साथ अपने समाज और परिवार को भी ले डूबता है , उसकी उन्नति को समाप्त कर देता है और मोती को छूकर घांघा बना देता है।
अनुशासनहीनता के कारण
छात्रों के अनुशासन विहीनता के पीछे राजनीति
छात्रों में अनुशासन के अभाव के पीछे स्वार्थी राजनेताओं का भी कम हाथ नहीं है।
राजनीति और भारतीय चुनाव प्रक्रिया में सक्रिय रहनेवाले शिक्षक भी छात्र और राजनीति को अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए गुमराह करते हैं और छात्रों को अनुशासनहीन बनाते हैं।
प्रायः शिक्षण संस्थाओं में शिक्षकों के दो गुट आपस में उलझते रहते हैं।
अधिसंख्य छात्र किसी - न - किसी गुट में शरीक होकर अपने - अपने शिक्षक के प्रति वफादारी का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं।
गुटबाजी के चलते छात्रों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित होती है । छात्र गुटबाजी के कारण अपने उद्देश्य से भटक जाते हैं।
उनका जीवन तो बरबाद होता हि है। साथ मे , उनके माता - पिता के सपने भी बिखर जाते हैं।
छात्र राष्ट्र और समाज के भावी कर्णधार होते हैं , अत: उनका अनुशासनप्रिय होना जितना उनके हित में है , उतना ही राष्ट्र के हित में, और समाज के हित में ।
छात्र जीवन अध्ययन के लिए होता है , न कि राजनीति में हिस्सा लेने के लिए।
छात्रों को देश की राजनीतिक गतिविधियों से अवश्य परिचित होना चाहिए , पर अध्ययन - अवधि में उन्हें जामिन राजनीति में सक्रिय नहीं होना चाहिए।
यदि हम छात्र माता-पिता एवं गुरुजनों की आज्ञा का पालन करते हैं और सामाजिक मर्यादाओं में बँधकर चलते हैं तो कहा जायेगा कि हम अनुशासित हैं।
इसके विपरीत, यदि हम माता-पिता एवं गुरुजनों की आशा का पालन नहीं करते, उल्टे उनकी अवहेलना करते हैं, 'अन्य सामाजिकों को क्या कष्ट हो रहा है इसकी चिन्ता किये बगैर बसें जलाते हैं, तार काट डालते हैं और दुकानों की लूटपाट करते हैं, जिस-तिस से बेमतलब झगड़ा मोल ले बैठते हैं तो हम उच्छृंखल कहे जायेंगे- अनुशासनहीन कहलायेंगे।
यह प्रसन्नता की बात है आज हम छात्रों का स्वरूप अधिकांश में 'अनुशासनहीन' या 'उच्छृंखल' न रहकर अनुशासित होता जा रहा है जीर रचनात्मक कार्यों में हमारी रुचि बढ़ती जा रही है।
अनुशासित परिवार में जिनका पालन - पोषण होता है , जिन्हें शिक्षण संस्थानों में अनुशासन की शिक्षा मिलती है , उन्हें जीवन में आदर्श एवं अनुशासित महापुरुषों की सत्संगति प्राप्त होती है.
ऐसे लोग ही अनुशासन की संस्कृति से लाभान्वित होकर विश्व में अपने यश की सुगंध फैलाते या है।
प्रत्येक व्यक्ति का यह दायित्व बनता है कि वह ' अनुशासन ' की मर्यादा का पालन करते हुए अपने संपर्क में आनेवालों को अनुशासन की महत्ता से परिचित कराए तथा समाज और राष्ट्र के उत्थान में अपनी भूमिका का निर्वाह करे।
छात्रों को जब अच्छी संगति , अच्छा वातावरण मिलता है तब वे चरित्रवान और व्यक्तित्ववाले बनते हैं अन्यथा पढ़ - लिखकर भी वे स्वार्थपरता , क्रूरता और अमानवीय दृष्टि से ही ग्रस्त रहते हैं।
दुःख की बात है कि आज हमारे देश में चरित्र का ह्रास व्यापक पैमाने पर हो गया है और हो रहा है ।
अंतिम शब्द : छात्र और अनुशासन
इस निबंध में हमने छात्र और अनुशासन पर निबंध के अंतर्गत छात्र जीवन में अनुशासन के महत्त्व को cover किया।
आप इस निबंध का उपयोग अपने , school , college या board exam के दौरान निबंध लेखन के लिए कर सकते हैं। और परीक्षा में निबंध लेखन में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं।
6 टिप्पणियाँ
aapki site bahut vidya hain veere..rabb tenu trkiya bkshe...keep word hard
जवाब देंहटाएंMai puri tarah se to nahi samjh paya lekin itna samajh gaya ki aap ashirwad hi de rahe hai. Aapka dil se dhanyawad.
हटाएंYour essay is very good, our students have learned to write the essay in a much better way by reading this essay, so I thank you very much.
जवाब देंहटाएंplease remove ads i cant see words because of it
जवाब देंहटाएंi am working on it....
हटाएंAnushashan ka mahatva samajhne ke liye sabse behtareen nibandh
जवाब देंहटाएं