बरसात का मौसम कितना सुहावना होता है न, प्रकृति तो जैसे सोलह श्रृंगार कर के मुस्कुरा उठती है. वर्षा ऋतु पर निबंध के अंतर्गत आज इसी विषय पर बात होगी . इस hindi essay on rainy season का उदेश्य आपको प्रकृति से परिचित कराना एवं ज्ञान प्रदान करना है.
वर्षा ऋतु पर निबंध | Rainy season essay in hindi
वर्षा में प्राणी आनन्द से फुले नहीं समाते। प्रकृति के विस्तृत आँचल में हरीन छलांग भरते दिखाई पड़ते हैं तो पक्षीगण अपने आपव से वर्षा ऋतु की उदारता के गीत गाते हैं।
रंग - विरंगे पक्षी तालाबों में स्थान पाकर आनन्द से चहकते हैं। उनके झुलसे हुए शरीर में प्रफुल्लता का संचार हो जाता है।
इसी रमणीय घड़ी में वे आकाश के मध्य खुली हवा में चक्कर काटते हैं और इसी में अपने जीवन की निष्पक्षता समझते हैं।
सभी जीव - जंतु आनन्द का अनुभव करते हैं और यत्र - तत्र विहार करते हैं।
वे समझते हैं कि वर्षा की कृपा से कुछ ही दिनों में धरती त्रानाच्छादित हो जाएगी। इसी आशा में वे हर्षोन्मत्त होकर नाचन और किल्लोल करने लगते हैं।
पृथ्वी पर धनात्मक प्रभाव दिखाई पड़ने लगती हैं। ऐसा प्रतीत होता है मानो पृथ्वी अपने अनुराग पग - पग पर बिखेर रही है। अनगनित जीव पृथ्वी के गर्भ से निकल स्वच्छन्दतापूर्वक विचरण करते हैं।
छा जाती है हरियाली
वर्षा होते ही प्रकृति लहलहा उठती है। वृक्ष, गुल्मों, लताओं में नव जीवन का संचार हो जाता है। जलवृष्टि से उनमें हरियाली आ जाती है और कोमल कोपलें निकलने लगती हैं। नए - नए अंकुर निकल - निकल कर वर्षा के प्रति अपना लगाव प्रकट करते हैं।
जिस समय हवा चलती है, उसके झोकों से कंपायमान होकर लताएँ बेहद अनंत सुन्दर लगती हैं। कोमल पल्लवों पर हीरे की कणियों के सदृश बूंदें स्थिर हो जाती हैं और हवा के झोकों से पृथ्वी पर गिर जाती हैं।
मेघों द्वारा स्नान कराए हुए वृक्ष अपने वैभव में दृष्टिगोचर होते हैं। उसके जीवन की उमंग लकड़ियों - पत्तो पर देखी जा सकती है।
वर्षा - विहार अत्यंतन्त आनन्दमय है। जलवृष्टि होने के पश्चात प्रकृति का दृश्य चित्ताकर्षक बन जाता है।
जिव जंतु होते है प्रफ्फुलित
तालाबों में मेढ़क 'टर्र - टर्र' का राग अलापते हैं, झिल्ली की झंकार कर्ण - कुहरों को छेदती सी ज्ञात होती है, अन्य पक्षियों का मधुर स्वर हृदय में स्निग्ध भाव जागृत करता है। जंगली पशु जंगल में हरी घास चरते हुए दिखाई पड़ते हैं।
उनके पुलकित चित्त और उनकी प्रसन्नता उन्हें देखकर ही समझी जा सकती है। पर्वतों का दृश्य वार्षिक में सभी बन जाता है। किसी पर्वतमाला के उच्च श्रृंग पर चढ़ जाइए और तब पृथ्वी - तल की ओर दृष्टिपात करेंगे।
निर्झरों की कलकल ध्वनि और प्रपत्ति का वेग - सम्पन्न जल - प्रवाह अत्यंतन्त सुखकर प्रतीत होता है। जलवृष्टि होने पर कुछ ही दिनों में प्रकृति भानुमति का पिटारा खुल जाता है और विविध प्रकार की वनस्पतियों पर्वत को आच्छादित कर लेती हैं ।
सहदयों के लिए यह दृश्य बड़ा मनोहारी होता है।
हल उठा निकल पड़ते है किसान
वर्षा होते ही प्रकृति का पुरोहित किसान अपने कन्धं पर हल रखकर खेतों की ओर चल देता है । गाँव में जिधर देखिए , किसान अपने बैलों के साथ खेत में जुटा हुआ है ।
कुटुम्बीजन उसका हाथ बँटाते हैं और वह स्वयं भी दम नहीं लेता । उसे तो शीघ्रातिशीघ्र बीज डाल देना है , अन्यथा धरती माता रूठ जायंगी तो उसका किया - कराया मिट्टी हो जायेगा। ए
क दिन भी पिछड़ जाना उसके लिए असहा है , क्योंकि खंती ही उसके जीवन का मूल आधार है । ' समय चूकि पुनि का पछताने ' वाली कहावत तो उसी पर है ।
भारतीय किसानों की स्फूर्ति वर्षा होने के पश्चात भलीभाँति देखी जा सकती है। प्राणी मात्र का जीवन - धन वर्षा है। जलवृष्टि होते ही पृथ्वी पर हलचल मच जाती है।
कृषक अपने हल - बैल के साथ खेतों में दिखाई पड़ते हैं और नाना भाँति के जीव - जन्तु अपनी गति तथा स्वर से मनुष्यों को मुग्ध कर देते हैं।
चलते-चलते : Hindi essay on rainy season
प्रस्तुत आलेख, वर्ष ऋतु पर निबंध में आपने जाना प्रकृति के सुन्दरी को जगाने वाली, जिव जंतुओं में उमंग भरने वाली, किसानो के लिए वरदान स्वरुप वर्षा ऋतु की महत्ता को। सचमुच विभिन्न प्रकार के मौसम हमारे जीवन को काफी हद्द तक प्रभावित करते है।
इसी प्रकार के निबंध पढ़ते रहने के लिए नियमित तौर पर आते रहे ताकि सभी नई जानकारियों से रूबरू रह सके।
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