Vasant ritu essay in hindi : आप पढ़ रहे हैं, वसंत ऋतु पर निबंध । प्रस्तुत हिंदी निबंध में आप बसंत ऋतु के ऊपर निबंध लिखना सीखेंगे। जिसका उपयोग आप अपने school या exams में कर सकते हैं।
प्रस्तुत पाठ्यांस "वसंत ऋतु पर निबंध" प्रकृति की अनुपम छटा को प्रदर्शित करता है। इसके जरिये वसंत ऋतु के आगमन को प्रकृति के उत्सव के रूप में दर्शाया गया है।
वसंत ऋतु पर निबंध : vasant ritu hindi essay
वसंत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है । इसी कारण इसे ऋतुराज कहा जाता है । प्रकति ऋतुराज वसंत का हृदय की सम्पूर्ण भावनाओं से स्वागत करती है
और वसंत प्रकृति रूप सुन्दरी का मनमोहक शृंगार करता है ।
वसंत प्रकृति का यौवन है । इस ऋतु का आगमन होते ही प्रकृति खिल उठती है । वृक्षों पर नव पल्लव अंकरित हो जाते हैं और कलियाँ खिलकर फूलों का रूप धारण कर लेती हैं ।
शीत ऋतु का अंत वसंत के आगमन की घोषणा करता है -
मधु मनोज्ञात से प्रमुदित मलयानिल से शोभित दिगन्त।
सूचित कर देता है तुरन्त , शिशिर शीत का हुआ अंत ।
वसंत में प्रकृति नववधु की भाँति शोभायमान हो जाती है । कोयल कूकने लगती है । चारों ओर फूल खिल उठते हैं । लताएँ वृक्षों का आलिंगन करने लगती हैं । चारों ओर सुगन्ध का साम्राज्य छा जाता है ।
रक्त , पीत , श्वेत सुमन लखकर है पुलकित मन ।
झूम उठे दिग दिगन्त , आ गया फिर से वसंत । ।
आकृष्ट हो रहे हैं मिलिन्द , मंजरित हो गए हैं रसाल ।
करते हैं नव शोभा प्रदान , कोमल किसलय दल हरे लाल । ।
वसंत के आगमन पर आमों पर बौर आ जाते हैं । पुष्पों से पराग झड़ने लगता है । फलों पर भँवरे मंडराने लगते हैं और उद्यानों में तितलियाँ नृत्य करने लगती हैं ।
पीली सरसों की शोभा । देखते ही बनती है। ऐसा लगता है मानो धरती ने पीली साड़ी पहन रखी हो । धरती रूपी वधू । का अंग - प्रत्यंग पुलकित हो जाता है
फूली सरसों ने दिया रंग
मधु लेकर आ पहुँचा अनंग ।
वधु वसुधा पुलकित अंग - अंग ।
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वसंत में वसंत - पचमी का त्योहार आता है । इस दिन अनेक स्थलों पर मेले लगते हैं । माँ । सरस्वती का पूजा - अर्चना में संपूर्ण शिक्षा - समाज - विद्यालय , महाविद्यालय , विश्वविद्यालय के छात्र - छात्राओं में एक विशेष श्रद्धा - जीवन भाव समाहित हो जाता है । बड़ी धूम - धाम से सरस्वती की पूजा में सभी दत्तचित्त हो लीन रहते हैं ।
समस्त बंगाल , उडीसा असम तथा बिहार में लोग विद्या तथा कला की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की पूजा - उपासना करते हैं । इसी दिन कई लोग । वसंती कपड़े पहन कर ऋतुराज के आगमन पर उल्लास व्यक्त करते हैं ।
वसंत ऋतु त्याग और बलिदान का प्रेरक है । इस ऋतं में गरु गोविन्द सिंह के नन्हे बच्चों । ने धर्म के गौरव की रक्षा के लिए बलिदान दिया था ।
वसंत पंचमी के दिन वीर हकीकत राय ने भी अपने जीवन पुष्प को धर्म की वेदी पर समाप्त कर दिया था । ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि पद्माकर के शब्दों में वसंत की शोभा का वर्णन करते हुए कहा जा सकता है -
कूलन में , केलिन में , कछारन में , कुंजन में ।
क्यारिन में , कलित कलीन किलकत हैं ।
कहै पद्माकर पराग हूँ में , पौन हूँ में
पानन में , पीकन में , पलाशन पगन्त है ।
कछार में , दिशा में , दूनी में , देश - देशन में ।
बनन में , बागन में बगरयो वसंत है ।
' वसंत ऋतु की शोभा तथा सुन्दरता ने साहित्यकारों तथा कलाकारों को विशेष रूप से प्रभावित किया है । यही कारण है कि हर भाषा के साहित्य में वसंत ऋतु की शोभा और सुन्दरता का वर्णन भरा - पड़ा है ।
कविगण तो वसंत ऋतु की श्री शोभा को देखकर पागल - से हो जाते हैं । कलाकारों को अपनी कला की रचना में इस ऋत से विशेष प्रेरणा मिलती है ।
इस ऋतराज के साये में किसानों को भी आनंद - ही - आनंद मिलता है। वे रब्बी की फसल से भरे अपने खेतों के वैभव पर इठलाते रहते हैं। इस ऋतु में रब्बी फसल की कटनी भी शुरू हो जाती है और खलिहानों का विपुल - वैभव अनूठे सौंदर्य से निहाल हो उठता है।
वस्तुत : वसंत माधुर्य और सौन्दर्य की ऋतु है। यह आनंद देनेवाली ऋतु है । इसकी मधुरता तथा सुन्दरता में हम अपनी उदासी तथा निराशा को भूल जाते हैं।
हममें नयी आशा का संचार होता है। यह विषाद में डूबे हमारे मन और प्राण को जीने की नयी शक्ति देती है। यह हमारे भीतर और बाहर नयी सुन्दरता छिटकाती है। इसकी सुन्दरता से हमें नयी चेतना तथा नयी प्रेरणा मिलती है।
पता नही अगर पृथ्वी पर वसंत का आगमन अवरोधित हो जाये, तो समस्त मानव जाति पर इसका क्या प्रभाव होगा। जिस वसंत के आगमन से समस्त सृष्टि में प्राणवायु का संचरण होता है। जिस वसंत के आगमन पर हम वसंत ऋतु पर निबंध लिखते है। वर्तमान में वो वसंत अपने ही अस्तित्व के लिए लड़ रहा है।
पृथ्वी माँ की गोद मे पल रहे पेड़ पौधे नष्ट होते जा रहे हैं। इंसान अपनी सुविधाओं के लिए वन को समाप्त कर रहा है। पक्षियों के अनुकूल इस पृथ्वी का वातावरण पता नही अब भविष्य में बन पाएगा या नहीं। जल के स्रोत भी अब विलुप्तप्राय हो रहे हैं।
अगर ऐसा ही चलता रहा तो भविष्य में स्थिति और भी भयावह हो जाएगी। क्योकि न वसंत होगा न पक्षियों की चहचहाहट होगी। न कोयल की कूक होगी। कब कौन सी ऋतु आएगी जाएगी इसका पता लग पाना भी मुश्किल हो जाएगा।
वसंत ऋतु में हमे एक खुशनुमा माहौल मिलता है। हवाओं में अनोखी सुगंध होती है। पशु, पक्षी, जड़, चेतन सभी के चेहरों में मुस्कान होती है।
इसलिए सचमुच में वसंत ऋतुराज अर्थात् " ऋतुओं का राजा " है।
वसंत ऋतु पर निबंध - Vasant Ritu In Hindi
सभी को पसंद है वसंत
प्रकृति में छा जाती है खुशहाली
सभी का पसंदीदा है वसंत
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चलते-चलते : vasant ritu essay in hindi
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