दुर्गा पूजा पर निबंध के अंतर्गत पढ़िए शक्ति की आराधना के पर्व विजयादशमी का महत्त्व, जानिए आखिर क्यों मनाया जाता है दुर्गा पूजा का त्यौहार।
दुर्गा पूजा पर निबंध
दुर्गापूजा या विजयादशमी का त्योहार शक्ति का त्योहार है , पौरुष पूजा का पर्व है।
जब अनाचारियों के अनाचार से जन जीवन त्रस्त होता है तब कोई शक्ति पैदा होती है जो उनका विनाश कर मानव को विपत्ति से मुक्त करती है ।
अनाचार और कष्ट से मुक्ति के बाद प्रसन्नता स्वभाविक है । इस प्रसन्नता में हम कृतज्ञता और उल्लास . दोनों व्यक्त करते हैं ।
दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है ?
विजयादशमी से संबंधित दो प्रमुख कथाएँ हैं ।
प्रथम कि यह रावण पर राम की विजय का त्योहार है । इसी दिन राम ने रावण का वध किया था ।
पश्चिमोत्तर भारत में इस उत्सव को रामलीला के रूप में मनाते हैं । वहीं रावण , कुम्भकरण आदि का पुतला जलाया जाता है और राम के जीवन से संबंधित झाँकिया सजाई जाती हैं।
इस रूप में यह दानवी शक्ति की पराजय और मानवी शक्ति की विजय का त्योहार है।
दूसरी कथा में दुर्गा की महिमा प्रधान है।
महिषासुर ने भयानक असुर के अत्याचार से त्रस्त होकर जब भगवान ने महाशक्ति की प्रार्थना की तो वे दुर्गा के रूप में प्रकट हुए।
उन्होंने घोर युद्ध में महिषासुर को परजित किया और 'विप्र धनु सुर संत' की रक्षा की।
देवी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने और उनकी विजयस्मृति को कायम रखने के लिए यह पर्व मनाया जाता है।
नवीन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक दुर्गा की पूजा की जाती है।
इस अवसर पर दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है।
दशमी को धूमधाम से देवी की प्रतिमा का विसर्जन होता है, और चारों ओर उल्लास का वातावरण खिल जाता है।
बिहार और बंगाल में यह पर्व शक्ति पूजा के रूप में मनाया जाता है।
शक्ति और विजय का प्रतिक है दुर्गा पूजा
चूँकि विजयादशमी शक्ति - पूजा या विजय का मनोहर है, अत: इसे हमें राष्ट्रीय विजय पर्व के रूप में मनाना।
इस दिन शारीरिक शक्ति और साहस का प्रदर्शन करनेवाले कार्यक्रमों का आयोजन होना चाहिए।
अस्त्र - शस्त्रों की परीक्षा होनी चाहिए और सेना और पुलिस के परेडों और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए निर्मित अस्त्र - शस्त्रों का प्रदर्शन होना चाहिए ताकि जनता में विश्वास जगे, उसकी नपुंसकता और कायरता दूर हो, उनमें राष्ट्र के शहीद होने और विजय प्राप्त करने का भाव जगे।
देश के लिए शहीद होनेवाले वीरों की झाँकियाँ भी इसी अवसर पर प्रदर्शित की जा सकती हैं।
यदि ऐसा करें तो दुर्गापूजा एक उचित पर्व न रहकर वस्तुतः राष्ट्रभक्ति और राष्ट्ररक्षा का त्योहार बन जाएगा।
चलते-चलते :
प्रस्तुत निबंध में आपने दुर्गा पूजा के महत्त्व एवं इस त्यौहार के मनाये जाने के कारणों को जाना।
निश्चित रूप से दुर्गा पूजा हमारे समाज मे स्फूर्ति, उर्जा और भक्ति का संचार करता है। ताकि हम जीवन में आने वाली सभी प्रकार के बाधाओं का डट कर मुकाबला कर सके।
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