Hindi motivational story for students : 7 हिंदी कहानियों का संग्रह

Hindi motivational story for students : आप सभी के लिए पेश है, कुछ best hindi motivational story जिन्हें पढ़ कर students अपनी life में success हासिल कर सकते हैं। आप सभी की जिंदगी में कभी न कभी ऐसे पल जरूर आते होंगे जब आप निराशाजनक अवस्था मे होते हैं। उस वक्त आपको इस तरह की हिंदी motivational stories सांत्वना देने का कार्य करती है । आशा करता हुँ की आपलोगो को random writers द्वारा लिखे गए इन short hindi stories को पढ़कर अच्छा लगेगा। और आप समय के महत्व को समझ

कर उसकी कद्र करना सीखेंगे ।




सही निर्णय | hindi motivational story for students


hindi motivational story for students


तुषार अपने कमरे में चुपचाप बैठा पिताजी के ऑफिस जाने की प्रतीक्षा कर रहा था । आज से पहले वह इतना गमसुम कभी नहीं रहा । आज उसने निर्णय कर ही लिया था । पिताजी के ऑफिस जाते ही मां से छिपकर वह यहां से निकल जाएगा और बाजार से कीटनाशक दवा लेकर कहीं नदी किनारे अपनी जीवनलीला समाप्त कर देगा । परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गया , किसी को क्या मुंह दिखाएगा । उसने जब में रखे सौ के नोट को कसकर पकड लिया ।




 उसी समय उसका मित्र हेमंत हाथ में मिठाई का डिब्बा लिए आया । पास होने की खुशी में तुषार के मम्मी - पापा को मिठाई खिलाई । उनका आशीष लेकर तुषार के कमरे में पहुंचा । तुषार ने बेमन से उसे बधाई दी । और पूछा -

 ' अब आगे क्या करेगा '
 ' मैं फिर से इसी कक्षा की परीक्षा दूंगा । '
 ' क्यों ? ' तुषार ने फिर पूछा '
अरे यार ! मार्क्स कम हैं । श्रेणी - सुधार के लिए फिर परीक्षा दूंगा । ' हेमन्त ने कहा ।
 ' लेकिन एक साल बर्बाद करेगा ? ' तुषार ने आश्चर्य से पछा ।
' साल ही तो बरबाद होगी . जीवन तो नहीं . . . और हां । अच्छे प्रदर्शन के लिए प्रयुक्त किए समय को समय की बर्बादी नहीं , समय का सदुपयोग कहते हैं । '
 ' मैं सोच लूंगा कि फेल हो गया ' हेमन्त ने कहा । ' और बता तेरे रिजल्ट का क्या हुआ । ' हेमन्त ने तुषार से पूछा । तुषार मानो सोते से जाग गया । और बोला-
 ' यार मैं फेल हो गया पर यह सोचकर फिर इसी परीक्षा में बैठंगा कि मार्क्स कम हैं । मुझे भी श्रेणी सुधार करना है । '
 जेब में कसकर पकड़े सौ के नोट पर उसकी पकड़ ढीली पद्ध गई थी ।

                                   "राजेंद्र श्रीवास्तव की रचना"





सच्ची शिक्षा- hindi motivational story for students


मैं एक शिक्षिका हूं । 2014 में मैं अपनी सहेली की शादी में सम्मिलित होने काफी दिनों बाद मायके जा रही थी । दोपहर में स्कूल समाप्त होने के बाद मैंने बस पकड़ी और उम्मीद थी कि तीन - चार घंटे में मैं निश्चित ही पहुंच जाऊंगी । परंतु विक्रमशिला सेतु पर भीषण जाम की वजह से रात हो गई । जैसे - तैसे मैं भागलपुर बस स्टैंड पहुंची । और वहां से ऑटो रिजर्व करा कर चल पड़ी । कुछ दूर चलने के बाद सहसा देखा कि सड़क किनारे एक लड़की खून से लथपथ पड़ी थी और कुछ तमाशबीन लोग उसकी तस्वीरें खींच रहे थे । मैंने तुरंत ऑटो रुकवाया और वहां मौजूद कुछ लोगों की सहायता से उस लड़की को ऑटो में बैठाया ।

उस समय उन तमाशबीनों को कुछ भी कहने के लिए मेरे पास वक़्त नहीं था । कुछ देर बाद हम अस्पताल में थे , लेकिन उस लड़की की हालत बेहद नाजुक थी । यह देख मैंने शादी में जाने का निर्णय बदल दिया और सोचा कि आज तक मैंने अपने विद्यार्थियों को अच्छा आचरण करने की मौखिक शिक्षा दी है , लेकिन आज मेरे पास इसे चरितार्थ करने का मौक़ा है ।

Hindi motivational story for students , sachi siksha


motivational story in hindi for students


 ऊपर वाले की दुआ से लड़की को अगली सुबह होश आया और वह मझसे लिपट कर रो पड़ी । आंखें तो मेरी भी भर आई थीं । इसके बाद उसके परिवार वालों ने मेरा शुक्रिया अदा किया और मैं मायके पहुंची । वहां पर तो हर कोई मेरी सहृदयता की चर्चा कर रहा था । परन्तु विगत वर्ष जब उस लड़की के विवाहोत्सव में मझे उसके कन्यादान का अवसर दिया गया तो मैं भाव - विभोर हो गई । मेरे दो बेटे हैं लेकिन । बिटिया को विदा करने का अवसर भी मुझे मिलेगा , इसका यक़ीन नहीं था मुझे । इसके बाद से मुझे विश्वास हो गया कि हमें कर्मों का फल इसी जीवन में मिलता है और इसलिए केवल नैतिक मूल्यों की शिक्षा देने की बजाय हमें उसपर अमल भी करना चाहिए ।




                                         - स्नेह प्रभा , पूर्णिया

ये भी पढें -

छात्र और अनुशासन पर निबंध

मेरे मन की बाला काव्य रचना

The perfect imperfect us english love story


स्कूल के वो दिन | hindi motivational story for success


बात उस समय की है , जब मैं छठी कक्षा में पढ़ता था । मैं खुश था , क्यूंकि हम लोग राजगीर घूमने के लिए स्कूल की तरफ से जा रहे थे । बस अगले दिन सुबह ही जाना था । रोज की तरह हमलोग स्कूल पहंचे और पटना से राजगीर जाने के लिए बस में बैठ गए । मैं खुश भी था और डर भी रहा था , क्यूंकि मैं घर से पहली बार कहीं दूर जा रहा था । लगभग छः घंटे बाद हमलोग राजगीर पहुचें । वहां का दृश्य काफी अच्छा लग रहा था । ऊंचे - ऊंचे पहाड़ थे ।

प्रकृति के दृश्य देखकर मन प्रफुल्लित हो गया । हम लोग पहाड़ पर जैसे ही चढ़े , गौतम बुद्ध की प्रतिमा नजर आई । वहां का वातावरण काफी शांत था । पहाड़ों से गिरता झरना , जिससे हमेशा गर्म पानी ही निकलता था , वो देखना अद्भुत था । मैंने पढ़ा था इसके बारे में , पर देखकर मन खुश गया ।

फिर हम लोग आगे बढ़े और भी जगहों पर घूम रहे थे । तभी अचानक पीछे मुड़कर देखा , तो वहां मैं अकेला था । मेरे साथी और शिक्षक कोई भी नज़र नहीं आ रहे थे । मैं उस खूबसूरती में इतना खो गया था कि ध्यान ही नहीं रहा और चलते - चलते बहुत दूर निकल आया था । उस समय मैं बहुत घबरा गया था ।

मैं रोने लगा था । तभी बगल में खड़े एक अंकल ने मुझे चुप कराया । और मुझसे सारी बात पूछी । मैंने उन्हें बताया कि स्कल के दोस्तों के साथ यहां एक ट्रिप पर आए हैं , लेकिन रास्ता भटक गया हं । वो अंकल अपनी गाड़ी में बैठाकर मझे नीचे ले गए , जहां से हमने यात्रा शुरू की थी । वहां स्कूल टीचर्स को देखकर मेरी जान में जान आई । वहां जाकर पता चला कि बाकी शिक्षक भी मझे ढूंढ रहे थे । मुझे देखकर वो सब भी खुश हो गए । उसके बाद हमने यात्रा समाप्त की ।
             
                                          - उत्तम कुमार कि रचना

पढ़ो आगे बढ़ो | Hindi motivational story


बाबू जी बहुत कम पढ़े - लिखे थे । किसी तरह बस नाम - ग्राम लिखना - पढ़ना और दस्तख़त करना सीख गए थे । एक बंगाली पोस्टमास्टर की कृपा से वे डाकिया भी बन गए । रोज पंद्रह - बीस किलोमीटर की यात्रा पुरानी - जर्जर साइकिल से तय करते । दूर - दराज के गांवों में जाकर वे चिट्ठी , पार्सल और मनीऑर्डर बांटते । अवकाश प्राप्ति के बाद भी उन्हें मामूली पेंशन मिलती थी , जिसे वे संयुक्त परिवार के बच्चों की शिक्षा - दीक्षा पर खर्च कर देते ।

बाबू जी हर शनिवार को देर रात घर आते । लालटेन के चारों ओर पढ़ने के लिए बैठे हम लोगों को देखकर उनकी सारी थकान दूर हो जाती । हमारे पास कुछ देर बैठकर पढ़ाई - लिखाई की प्रगति पूछते । रविवार को गांव के लोगों से मिलते । सोमवार की सुबह , हमारे जागने से पहले उनकी साइकिल गांव के बाहर निकल चुकी होती । समय के पाबंद रहकर उन्होंने सम्मान और स्वाभिमान से कभी समझौता नहीं किया ।

 हालांकि लंबी नौकरी करने के बावजूद जीवन में रहने लायक एक व्यवस्थित घर भी नहीं बनवा सके , क्योंकि सारे पैसे पढाई - लिखाई में खर्च हो चुके थे । कोई पूछता कि घर क्यों नहीं बनवाया तो कहते , ' ये बच्चे ही मेरा घर हैं । बड़ा मकान बनाने से ज़रूरी है - बच्चों की ऊंची शिक्षा और ऊंचे संस्कार । ' उनको स्वर्ग सिधारे आज बीस साल हो गए हैं पर बाबू जी की बातें अब भी प्रेरणा देती है । उनका कहना था कि ईमानदारी की कमाई में बरकत होती है । ऊंची शिक्षा के कारण परिवार को एक अच्छी सामाजिक पहचान मिली है । हम लोग आज भी महसूस करते हैं कि घने बादलों से वे परिवार पर छाया भेज रहे हैं । हर कठिन स्थिति में बाबूजी प्रेरणा और साहस देते प्रतीत होते हैं । सच तो ये है कि घर के मुखिया जिस तरह की गुण भरी पौध लगाते हैं , बाद में परिवार को वैसी ही हरीतिमा मिलती है और सबका जीवन गुलजार होता है । हमारे पिताजी के लिए पढ़ाई - लिखाई और ईमानदारी ही सबसे बड़ा निवेश थी तो हमने भी जीवन में उन्हीं मूल्यों को बेहतर समझा और उस रास्ते पर चले । सच्चाई की यात्रा आसान नहीं होती । हमें बहुत - सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा । इसके बावजूद मन में कहीं न कहीं ये संतोष जरूर रहा है कि पिता के मार्गदर्शन में जिंदगी का कष्टमय सफ़र भी मुस्कुराते हुए जिया । खुशी की बात है उस परंपरा को बरकरार रखते हए नई पीढ़ी भी ऐसे ही रास्ते पर बढ़ रही है और परिवार की संस्कार - विरासत को आगे बढ़ा रही है ।

                                          - सुरेश कुमार मिश्र

मन के जीते जीत है...|Hindi motivational story for success


मन के जीते जीत है , मन का सपना ही हार एक बार की हार का मतलब ये नहीं कि मन का सपना गए । हर हार , जीत की राह पर मिलने वाले पदचिह्न की तरह सबक लें और अपने विश्वास को जिलाए रखें . . .

 नौजवान पीढ़ी की हालत पर गौर करें तो पाएंगे कि अधिकांश या किसी परीक्षा में बेहतर परिणाम नहीं ला पाते या अच्छा प्रदर्शन नहीं । कर पाते तो तनाव और दबाव में जीवन जीने लगते हैं । उन्हें ऐसा । लगता है कि जीवन में अब कुछ भी अच्छा नहीं होगा । मन में पनप । रहा ये विचार धीरे - धीरे गांठ बन जाता है । आलम ये होता है कि बात आत्महत्या तक पहुंच जाती है । युवा भूल जाते हैं कि असफलता और निराशा जैसी स्थितियां और मनःस्थितियां सफलता के रास्ते में आने वाले दो निश्चित पदचिह्न हैं । हर क़ामयाब इंसान को कभी न कभी इनका सामना करना ही पड़ा है । कभी भी असफलता के कारण मन में बसे अपने सपने के प्रति श्रद्धा और विश्वास के भाव को टूटने नहीं देना चाहिए । असफलताओं को स्वीकार कर सफलता के लिए लगातार प्रयत्न करते रहना चाहिए । सबसे पहले अपने मन को दृढ़ और सबल बनाना होगा , तभी हम आगे की सीढ़ियां चढ़ पाएंगे ।

महान लेखक स्वेट माडर्न ने कहा है कि सफलता सबसे पहले मन में आती है , फिर जीवन में उतरती है । हमारी हार ये नहीं है कि दूसरे लोग हमें कम आंकते हैं या नीचा दिखाते हैं , असल पराजय तो वो है , जब हम आगे बढ़ना छोड़कर अपनी असफलता का दुख मनाने लगते हैं । मन को हमेशा बीती बातो । को भुलाकर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए । हमेशा अपने आपके प्रति निष्ठावान होकर , लोकप्रिय और लुभावने को छोड़कर सर्वश्रेष्ठ चीजों के प्रति ध्यान आकृष्ट करना चाहिए । जीवन में कोई भी सपना हो , उसे साकार करने के लिए मन का ता . विश्वास और उस सपने के प्रति श्रद्धा को बरकरार रखना जरूरा क्योंकि मन के हारे हार है , मन के जीते जीत ।
   
                                       - अनुपम नेहा की रचना

ये भी सीखें -

ब्लॉगिंग कैसे करें ? / ब्लॉग या वेबसाइट कैसे बनाएं ?

quora क्या है और इसका उपयोग कैसे करें ?


मेहनत की कद्र | hindi motivational story for success

hindi motivational story for success , hindi motivational story for students
Image credit : pixabay

एक युवक जो पढ़ाई में बहुत होशियार था , को काफी समय से अच्छी नौकरी की तलाश थी , वह एक कंपनी में प्रबंधक के पद । हेतु इंटरव्यू देने गया . युवक का बायोडाटा देख कर इंटरव्यू लेने वाले अधिकारी ने एकदम से कुछ सोच कर युवक से पूछा , " आप के पापा क्या । करते हैं ?

" यह सवाल सुनते ही वह युवक भावुक हो गया और उसकी आंखों में आँसू छलक आए . अपने इमोशंस पर कंट्रोल करते हुए वह बोला , " जब मैं 2 साल का था तभी मेरे पापा मुझे छोड़ कर इस दुनिया से चले गए थे . मेरी मम्मी ने लोगों के घरों में बरतन और कपड़े धो कर मेरी पढ़ाई पूरी करवाई . उन्होंने मुझ से आज तक कोई काम नहीं करवाया है . वे सिर्फ मुझ से पढ़ाई करने को कहती हैं और मैं भी पूरी लगन से पढ़ाई में ही लगा रहता हूं , जिस कारण मेरे पास मम्मी के काम में हाथ बंटाने का समय ही नहीं होता . " उस युवक को अधिकारी ने कहा कि आज  अपनी माँ को मेरे कहे अनुसार ठीक ढंग से देखना और फिर कल मुझ से मुलाकात करना ।

 युवक रास्ते भर सोचता रहा कि अधिकारी ने ऐसा क्यों कहा ?  उस ने घर जा कर सारी बात अपनी मम्मी को बताते हुए उन का हाथ अपने हाथ में ले लिया . तभी उसे एहसास हुआ कि उस की मां के हाथ में तो छाले पड़े हुए हैं . यह देख वह रो पड़ा और मन ही मन सोचने लगा कि मां ने मेरे लिए अपनी पूरी जिंदगी प्रयास कर दी और अपना दर्द मेरे सामने बयान भी नहीं कि वह तुरंत उठा और घर के बचे हए सारे कामकाज करने लगा , पूरी रात वह मां के पास ही बैठा रहा . फिर सुबह मां ने आशीर्वाद दे कर उसे विदा किया . जैसे ही वह अधिकारी के कक्ष में पहंचा तो अधिकारी ने हंसतेहंसते उस से पूछा , " तम ने क्या सीखा ? " युवक बोला , " सर , आप ने तो मेरी आंखें खोल दी । आज मैं ने न सिर्फ अपनी मां के कार्यों में हाथ बंटाना सीखा बल्कि यह भी जाना कि अगर मेरी मां मुझे प्रोत्साहित न करतीं तो आज मैं यहां तक नहीं पहुंच पाता । साथ ही यह भी समझा कि वे हर काम को कितनी सहजता से कर लेती थीं लेकिन चेहरे पर जरा भी शिकन नहीं आने देती थीं . " तभी अधिकारी बोला , " you are selected for the post , क्योंकि मुझे इन्हीं गुणों से पूर्ण व्यक्ति की तलाश थी . " ।

Conclusion : Hindi motivational stories


आशा करता हूँ उपर्युक्त hindi motivational story for students आपको पसंद आई होगी। अगर आपको ये motivational stories पसंद आई हो। और आप इसी तरह की और भी ढेर सारी hindi motivational story for success पढ़ना चाहते हैं। तो हमारे ब्लॉग को regular visit करते रहे । साथ ही आपको ये कहानियां कैसी लगी हमे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। आपकी प्रतिक्रियाओ का बेसब्री से ईन्तजार रहेगा।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ