करो या मरो का नारा नारा किसने दिया था ये जानना आपके लिए केवल इसीलिए आवश्यक है क्योकि इसकी आवश्यकता आपको exams के सीजन में पड़ सकती है . खैर यदि इतिहाश के पन्नो को पलटे तो पता चलता है की करो या मरो का नारा महात्मा गाँधी जी ने दिया था .
लेकिन फिर आपका और आप जैसे कई लोगो का दिमाग घूमता है की आखिर अहिंसा के पुजारी कहे जाने वाले गाँधी जी ने करो या मरो का नारा कैसे दे दिया .
मै भी यही सोंचता हु , अक्सर मुझसे बचपन ये गलतियाँ हो ही जाती थी . जब कभी भी कोई मुझसे ये पूछता था की करो या मरो का नारा किसने दिया था तो मै जवाब देता था सुभाष चन्द्र बोश . लेकिन सच कहू तो मै गलत था .
महात्मा गाँधी एक ऐसी सख्सियत थे जिनका पूरी दुनिया तो लोहा मानती ही है हम जैसे भारतीय भी उनका यथोचित सम्मान करते है . लेकिन ये बात हमेशा खटकती है की ऐसे लोग जिन्होंने ने इस देश की स्वतंत्रता की खातिर अपना बलिदान दिया उनके बलिदान के महत्व को महात्मा गाँधी के व्यक्तित्व ने अपने कुटिल चाल से दुनिया के नजरो में कम कर दिया .
करो या मरो का नारा महात्मा गाँधी ने भले ही दिया हो लेकिन इस सिधांत पर चलकर उसे चरितार्थ करने वाले सुभाष बाबु, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह जैसे वीर को ही इसका श्रेय मिलना चाहिए .
महात्मा गाँधी ने करो या मरो का नारा कब दिया था ?
दरअश्ल मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में महात्मा गाँधी जी ने 8 अगस्त, 1942 इश्वी को भारत छोड़ो आंदोलन का आह्वान करते हुए सभी देशवासियों को "करो या मरो" का नारा दिया था. उन्होंने यह भी कहा के अपने हर एक साँस में करो या मरो को बसा लें . क्योकि इस प्रयास में हम या तो मरेंगे या भारत को आजाद करा के छोरेंगे .
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