अगर मैं मुख्यमंत्री होता निबंध : प्राय : हर आदमी सपना देखता है । सपने में कोई लखपति बनना चाहता है तो कोई करोडपति , कोई डॉक्टर बनना चाहता है तो कोई इंजीनियर , कोई प्रशासक तो कोई मंत्री। कुछ तो सोचते है की यदि मै प्रधानमंत्री होता.
मुख्यमंत्री बनने का कारण
जहाँ तक मेरा प्रश्न है , मेरा सपना है - मुख्यमंत्री बन अशिक्षा , अंधविश्वास , बेकारी और गरीबी से देश को मुक्त करना । शिक्षा लोकतंत्र की आधारशिला है । मैं सबसे पहले शिक्षा पर ध्यान दूँगा । प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य होगी और आगे की शिक्षा रोजगारोन्मुखी । उच्च शिक्षा विशेषता प्राप्त करने के लिए । ही दी जाएगी । पाठ्यक्रम में वैसे पाठ शामिल होंगे जिनसे लोगों को अन्धविश्वास एवं कुरीतियों से छुटकारा मिले और नागरिकता तथा कर्त्तव्यपालन की भावना बढे ।
राजनीतिक भ्रष्टाचार दूर करने पर ज्यादा जोर होगा । कार्यालयीय प्रक्रियाएँ सरल बनाई जाएंगी । भ्रष्टाचारियों की सजा के लिए सख्त कानून बनेंगे । जेल में नेता भी सामान्य कैदियों की भाँति रहेंगे ।
चुनाव कानून ऐसे बनाए जाएंगे कि लठ , लाठी और लठैत का जोर समाप्त हो । उम्मीदवार को नामांकन के साथ ही अपनी चल और अचल सम्पत्ति की घोषणा करनी होगी , चुनाव संबंधी मकदमों का फैसला महीने भर में होगा । कोई व्यक्ति दो स्थान से चुनाव नहीं लड़ेगा और न दो बार से अधिक मंत्री और न चार बार से अधिक विधानसभा / लोकसभा का सदस्य होगा । पराजित व्यक्ति किसी सार्वजनिक निकाय / सभा का अध्यक्ष या पदाधिकारी न होगा । लोकपाल सार्वजनिक क्षेत्र के सभी व्यक्ति की कार्यविधि की समीक्षा कर सकेंगे ।
कृषि को प्राथमिकता दी जाएगी । चकबन्दी के साथ सिंचाई के लिए नहरों और नलकूपों का जाल बिछाया जाएगा । वर्षा - जल के संरक्षण के प्रबंध किए जाएंगे और देश की नदियों को जोड़ा जाएगा ताकि बाढ़ और सूखे का मुकाबला किया जा सके । बाढ़ और सूखा से निजात पाने के लिए ' बाढ़ एवं सूखा प्राधिकरण ' बनाए जाएंगे ।
उद्योग के क्षेत्र में बड़े उद्योगों के साथ लघु उद्योगों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा और सार्वजनिक क्षेत्र के साथ - साथ निजी क्षेत्र में भी उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाएगा ।
बिजली के उत्पादन एवं रेल तथा सड़क - निर्माण पर विशेष बल दिया जाएगा । आधी आबादी अर्थात महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए लोकसभा एवं विधान - सभा में कम - से - कम 40 प्रतिशत स्थान सुनिश्चित किए जाएंगें ।
देश में अमन - चैन की स्थापना की जिम्मेदारी पुलिस पर होती है , अतएव पुलिस - तंत्र को चुस्त बनाया जाएगा । उसे वे संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे जिनकी सहायता से वह अपराधि यों तक आसानी से और जल्दी पहँच सके . जैसे गाडियाँ वायरलेस सेट आदि । संगम न्याय - प्रणाली और कठोर दण्ड की व्यवस्था की जाएगी । प्रत्येक की जिम्मेदारी निश्चित होगी ।
विदेश - नीति के क्षेत्र में राष्ट्रहित पर ध्यान दिया जाएगा और अणु बम बनाने से परहेज नहीं किया जाएगा । सभी जाति , धर्म और सम्प्रदाय के लोगों के लिए एक ही कानून होगा और राजनीति करने वाले - धार्मिक एवं जातीय समागमों में भाग नहीं ले सकेंगे ।
अगर मैं मुख्यमंत्री होता निबंध - 2
कल्पना के पंख बहुत सुहावन होते हैं। कल्पना की उड़ान भी बहुत ऊंची होती है। मुख्यमंत्री बनने की कल्पना करना क्या मुश्किल है।
पर , इस कल्पना के साथ ही साथ कर्तव्य एवं जिम्मेवारियों से काँटों भरे ताज की याद भी आ जाती है , जो अदृश्य रूप में मुख्यमंत्री के सर पर होता है।
बिहार का मुख्यमंत्री एक व्यक्ति नहीं , बल्कि सम्पूर्ण प्रदेश का केन्द्र , उत्प्रेरक शक्ति और भारतीय सभ्यता , संस्कृति तथा दर्शन का प्रतिनिधि होता है।
वह भारतीय लोकतंत्र और अन्तरराष्ट्रीयवाद का प्रतीक , राष्ट्र के विकास , मजबूती तथा सामाजिक न्याय का नायक और राष्ट्रीय गौरव का आदर्श होता है।
मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी प्रदेश को व्यवस्था देने और अमन चैन कायम करने की है।
यदि में मुख्यमंत्री होता तो प्रदेश एवं देश के निर्माण की रचनात्मक भूमिका में सामने आता।
सर्वप्रथम मैं प्रदेश के उग्रवादी तथा राष्ट्र विरोधी तत्त्वों को समाप्त करने में सख्ती तथा देश के निर्माण की रचनात्मक भूमिका में सामने आता।
सर्वप्रथम मैं प्रदेश के उग्रवादी तथा राष्ट्र विरोधी शक्तियों की पहचान करवाता , उनके उत्पन्न होने के कारणों की खोज करता , फिर निर्वाण प्रहार कर उन्हें जड़ मूल से नष्ट करता।
यदि मैं मुख्यमंत्री बन जाऊँ , तो देश की विशाल जनता के लिए कम - से - कम मूल सुविधा की उपलब्धि को सुनिश्चित करता।
ऐसी योजनाएँ तथा कार्यक्रम तैयार किए जाते , जो बिहार की ग्रामीण जनता को रोजगार , भोजन , वस्त्र , आवास और शिक्षा की न्यूनतम आवश्यकता की पूर्ति को सुनिश्चित करे।
इसके लिए वृहत तथा ग्रामीण उद्योगों को एक - दूसरे का पूरक बनाने , कृषि के विकास के लिए प्राथमिक योजनाओं के निर्माण को जनोन्मुखी तथा विकेन्द्रित ढाँचा देने की कालबद्ध कार्य योजना तैयार करवाता तथा उन्हें सख्ती से कार्यान्वित करता।
मेरे मुख्यमंत्री होने की स्थिति में कृषि , उद्योग और व्याएर की तरक्की होती। प्रदेश में औद्योगीकरण तेज होता , कृषि को उद्योग का दर्जा देकर जीविकोपार्जन से आगे लाभप्रद क्षेत्र के रूप में परिणत किया जाता।
मैं बिहार में श्रम - संस्कृति का सृजन करता जिसमें श्रम का सम्मान होता।
मेरे मुख्यमंत्री होने का मकसद जन - जन को गरीबी की दासता से मुक्त कराना होता। इसके लिए प्रदेश में उत्पादन साधनों का विकास विशाल पैमाने पर किया जाता। हर हाथ को काम तथा काम के अनुसार दाम मुहैया करता।
मेरे मुख्यमंत्री बनने का अर्थ होता सुखी , समृद्ध और शक्तिशाली बिहार जिसमें सबके विकास के समान अवसर तथा सुविधाएँ उपलब्ध होता।
मेरे शासन में न तो उग्रवाद का अस्तित्व होता और न भ्रष्टाचारी प्रशासन की आँखों के तारे होते, नारियाँ नहीं सतायी जाती और न ही दहेज के लिए जलायी जाती, न ही दूध के लिए कोई बच्चा तरसता न ही भूख से किसी की जान जाती है।
यदि मै मुख्यमंत्री होता तो सर्वे भवन्तु सुखिन: को अपना आदर्श वाक्य मान सारे प्रदेश का कल्याण करता।
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