सरदार भगत सिंह पर निबंध एवं उनकी जीवनी

सरदार भगत सिंह पर निबंध के अंतर्गत जानिए स्वतंत्रता सेनानी सरदार भगत सिंह की जीवनी. जिनसे आज भी हमारे देश के जवान प्रेरित होते है.  

सरदार भगत सिंह : निबंध एवं जीवनी

भगत सिंह का जन्म २८ सितंबर, १९०७ को लायलपुर जिले के बंगा नामक में हुआ था। (यह स्थान अब पाकिस्तान का हिस्सा है।) भगत सिंह का परिवार हमेला से अपनी देशभक्ति के लिए प्रसिद्ध रहा।

गाँव के ही स्कूल में उन्हें प्रारंभिक शिक्षा मिली। लिखने-पढ़ने में भगत बहुत तेज थे। उनके साथ के छात्र उन्हें बहुत चाहते थे। आगे की शिक्षा के लिए वे लाहौर चले गए।

सन् १९१९ में घटित जलियाँवाला बाग हत्याकांड से वे बहुत क्षुब्ध हुए। घटना के अगले दिन वे स्कूल नहीं गए बल्कि उस दिन जलियाँवाला बाग पहुँच गए थे। 

वहाँ उन्होंने एक बोतल में उस गीलो मिट्टी को भर लिया था, जो निर्दोष भारतीयों के लहू से सन गई थी। उस समय भगत सिंह की अवस्था बारह वर्ष की थी। 

उसी घटना के बाद से भगत सिंह में एक क्रांतिकारी परिवर्तन आया। उन्होंने पढाई छोड़ दी। वे आजादी की लड़ाई में सक्रिय हो गए। 

उनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य देश को आजाद कराना था। घर छोड़कर चले गए। दिल्ली में उनका परिचय चंद्रशेखर आजाद से हुआ।

'साइमन कमीशन' का विरोध करनेवाले नेता लाला लाजपत राय को लाठियों के प्रहारों से कुछ दिन बाद मौत हो गई। 

इसके जिम्मेदार सांडर्स नामक पुलिस सार्जेंट को मारकर भगत सिंह ने बदला ले लिया। भगतसिंह और आजाद दोनों ने मिलकर सांडर्स की हत्या कर दी थी।

अप्रैल १९२९ में 'सेंट्रल असेंबली' का अधिवेशन दिल्ली में हो रहा था। उसका विरोध करने के लिए भगत सिंह, सुखदेव और बटुकेश्वर दत्त ने बम फेंके थे। 

उसी बीच उन्होंने दर्शकों की दीर्घा (गैलरी) से 'लाल रंग के परचे गिराए उसमें गौरी सरकार की निंदा की गई थी। उसी घटना के दौरान तीनों ने अपने आप गिरफ्तारियाँ दो मुकदमा चला। 

निर्णय सुनाया गया कि तीनों को २४ मार्च १९३१ को फाँसी दी जाएगी, निश्चित तारीख से एक दिन (२३ मार्च को) ही कांतिकारियों को फाँसी दे गई। 

महान् क्रांतिकारी देश-हितार्थ प्राण वर करके देशवासियों आजादी चेतना जगा गए और युवा वर्ग प्रेरणा स्रोत बन गए । 


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