डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई पर निबंध एवं उनकी जीवनी

डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई पर निबंध के अंतर्गत जानिए About Dr Vikram Ambalal Sarabhai In Hindi एवं उनकी जीवनी .

जानिए किस प्रकार इन्होने वैज्ञानिक खोजों के दौर में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.

Dr Vikram Ambalal Sarabhai Biography In Hindi में इनके कार्यों का विशेष उल्लेख शामिल है.

डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई | About Dr Vikram Ambalal Sarabhai In Hindi


डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई का जन्म १२ अगस्त, १९११ को अहमदाबाद में हुआ था। अपनी आरंभिक शिक्षा उन्होंने अहमदाबाद में ही पूरी की। सन् १९३८ में वे इंग्लैंड गए। 

कैंब्रिज विश्वविद्यालय से उन्होंने भौतिक विज्ञान में ट्रिपोस की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। विश्वयुद्ध छिड़ जाने के कारण वे वहाँ रहकर आगे की पढ़ाई न कर सके और भारत लौट आए।

डॉ. साराभाई इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बंगलौर में कार्य करने लगे। वहाँ उन्हें प्रसिद्ध वैज्ञानिकों डॉ. चंद्रशेखर वेंकटरमण तथा डॉ. होमी जहाँगीर भाभा का साथ मिला। 

विक्रम उन्हीं के साथ अनुसंधान कार्य में जुट गए थे। इस तरह से इन तीनों महान् वैज्ञानिकों ने अपनी-अपनी खोजों से विदेशी वैज्ञानिकों को चौंका दिया।

डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई ने कॉस्मिक किरणों से संबंधित बहुत ही उपयोगी खोजें कीं। कॉस्मिक किरणों में जो बदलाव होते हैं वे किन स्थितियों में क्यों और कैसे होते हैं, यह उनकी महत्त्वपूर्ण खोज थी।

इनके लिए उन्हें 'मौसम अनुमान केंद्र में अनुसंधान कार्य करना पड़ता था। वे इन किरणों का अध्ययन करने के लिए हिमालय क्षेत्रों में भी गए।

'कॉस्मिक किरणों' को ब्रह्मांडीय अथवा अंतरिक्ष किरणें भी कहा जाता है। यहाँ यह जान लेना आवश्यक है कि ये किरणें बहुत ही बारीक होती हैं और बहुत तेज भी होती हैं। 

कितना कठिन होता है इन किरणों को समझ पाना। पर डॉ. साराभाई ने इन किरणों को बहुत ही बारीकी से समझ लिया।

द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति पर, जब संसार भर में शांति स्थापित हो गई, तब वे पुन: इंग्लैंड गए। उन्होंने केंब्रिज विश्वविद्यालय से डी.एस-सी. (डॉक्टर ऑफ साइंस) की उपाधि ग्रहण की। उसके बाद वे भारत लौट आए।

डॉ. विक्रम साराभाई ने अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान केंद्र की स्थापना की, जहाँ वे प्रोफेसर नियुक्त हुए, फिर निदेशक हो गए थे।

उनकी उत्कृष्ट सेवाओं उपलब्धियों लिए १९६२ शांतिस्वरूप भटनागर पुरस्कार' १९६६ सम्मानित किया गया।

अंतरिक्ष के क्षेत्र उनका योगदान बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। थुंबा और श्री हरिकोटा रॉकेट प्रक्षेपण की स्थापना उन्होंने थी। का निधन हो गया।

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